PNB स्‍कैम: सरकार की इस लापरवाही से हुआ देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला

नई दिल्ली: सोमवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग यानी सीवीसी ने पंजाब नेशनल बैंक से ताज़ा घोटाले पर रिपोर्ट मांगी है. दूसरी ओर यह भी साफ हो रहा है कि बैंक घोटाले के पीछे सरकारी बैंकों के कामकाज को बिगाड़ने और दखल देने में सरकार की भूमिका भी कम नहीं है. बैंकों के बोर्ड में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां हुई ही नहीं जबकि इस बारे में प्रधानमंत्री तक कोई शिकायत कर दी गई थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह चिट्ठी 2016 में लिखीं गईं. पहली चिट्ठी 10 मई और दूसरी चिट्ठी 3 अक्टूबर को चिट्ठियों में प्रधानमंत्री से शिकायत की गई कि कई सरकारी बैंकों के बोर्ड में वर्कमैन डायरेक्टर और ऑफिसर डायरेक्टर के पद खाली पड़े हैं.

क्या होते हैं वर्कमैन और ऑफिसर डायरेक्टर
किसी भी बैंक के बोर्ड में कई डायरेक्टर होते हैं. ये डायरेक्टर सरकार, रिज़र्व बैंक, शेयर होल्डर की और से होते हैं. इसके अलावा सम्बन्धित बैंक की ओर से भी वर्कमैन डायरेक्टर और ऑफिसर डायरेक्टर होते हैं.

दस्तावेज बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में सरकारी बैंकों के बोर्ड में कर्मचारी निदेशक के पद खाली रहे और सरकार ने कोई नियुक्ति नहीं की. इनमें पंजाब नेशनल बैंक भी शामिल है. खुद कभी बोर्ड का हिस्सा रहे और बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी हरविंदर सिंह कहते हैं कि यह निदेशक बैंक के हित और कर्जदारों के प्रोफाइल पर नज़र रखने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होते हैं और उन्होंने इस बारे में रिज़र्व बैंक, वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री तक को तक चिट्ठी लिखी. लेकिन पद खाली होते गये और कोई नियुक्ति नहीं हुई.

बैंक ऑफ़ इंडिया बोर्ड के पूर्व निदेशक हरविन्दर सिंह ने कहा कि इस सरकार के आने के बाद कोई पद भरा नहीं गया. आज तो सारे पद खाली हैं. प्रधानमंत्री अपने को चौकीदार कहते हैं, लेकिन हमारी चिट्ठियों पर कोई कदम नहीं उठाया.

देश के सरकारी बैंकों के कर्जदार पैसा वापस नहीं कर रहे और सरकारी बैंकों का यह एनपीए 7 लाख करोड़ से अधिक के हो चुके हैं. देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पीएनबी के शेयरों की जितनी कीमत है उसके करीब एक तिहाई का घोटाला तो नीरव मोदी ने ही कर दिया है.

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