दिल्ली सरकार में अफसरों की मनमानी, सिसोदिया ने लिखा LG को पत्र
नई दिल्ली । दिल्ली सरकार में अधिकारी मंत्रियों को बगैर विश्वास में लिए फैसले ले रहे हैं। यहां तक कि सरकार को बगैर बताए अपने द्वारा लिए गए फैसलों की फाइलें भी उपराज्यपाल को भेज दे रहे हैं। ताजा मामला सेवा विभाग व शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ है।
शिक्षकों की भर्ती में नियमों में बदलाव को लेकर सेवा विभाग ने जो फाइल तैयार की उसकी जानकारी शिक्षा मंत्री को नहीं दी गई। जबकि यह मामला शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ था। सरकार के अनुसार इस नाते शिक्षा मंत्री की जानकारी में मामला लाया जाना जरूरी था।
मगर विभाग ने पॉलिसी तैयार कर फाइल उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दी। इस मामले में जब अधिसूचना जारी हो गई तब जानकारी सरकार को मिली। इससे नाराज सिसोदिया ने उपराज्यपाल को पत्र लिखा है।
उन्होंने इस पत्र में गेस्ट शिक्षकों की ओर ध्यान दिलाया है। सिसोदिया ने पत्र लिखकर कहा कि दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) ने पिछले दिनों शिक्षकों की भर्ती निकाली। इस भर्ती के दौरान गेस्ट या अनुबंधित शिक्षकों को केवल आयु की छुट दी गई, जबकि उन्हें काम के अनुभव व अन्य के आधार पर वेटेज भी देना था।
पॉलिसी में उनके अनुभव व अन्य के आधार पर वेटेज देने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। जबकि दिल्ली कैबिनेट ने 6 अक्टूबर 2015 को इसे पास कर दिया था। उन्होंने पत्र में कहा कि इसके बाद मैनें गत 28 अप्रैल को मुख्यसचिव के साथ इस मुद्दे पर बैठक की थी और साफ साफ इन शिक्षकों को आयु, अनुभव व अन्य मामलों में रियायत देने के लिए कहा था।
इसके बाद 12 जून को मुख्यसचिव के साथ हुई बैठक में भी गेस्ट शिक्षकों को रियायत देने के लिए मैंने कहा। इसके समर्थन में अदालती आदेशों की भी जानकारी दी। 27 जुलाई को इसी मुद्दे पर बैठक में मुख्यसचिव के साथ अतिथि शिक्षक संघ का एक प्रतिनिधि मंडल था।
इस बैठक में गेस्ट शिक्षकों के हितों को लेकर चर्चा हुई और मैंने स्पष्ट कहा था कि बगैर मेरी जानकारी के कोई फैसला न लिया जाए। बावजूद इसके सेवा विभाग ने बगैर जानकारी के फाइल उपराज्यपाल के पास भेज दी।
सिसोदिया ने अपने पत्र में उपराज्यपाल से इस दिशा में सकारात्मक रुख अपनाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि यह मामला 17 हजार योग्य युवाओं के भविष्य के साथ जुड़ा है। इस पॉलिसी से इन 17 हजार गेस्ट शिक्षकों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा।