सहसपुर सीटः नजर आ रही है कांग्रेस की एकजुटता, बैकफुट पर भाजपा

देहरादून, । सहसपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस व भाजपा के बीच में कांटे की टक्कर होती दिखाई दे रही हैं, यदि चुनाव प्रचार, जनसम्पर्क आदि पर नजर डालें तो कांग्रेस प्रत्याशी आर्यन्द्र शर्मा अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। सहसपुर विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक वर्ग निर्णायक की भूमिका निभाता आया है। पिछले 2 चुनाव पर नजर डालें तो आर्यन्द्र शर्मा ही भाजपा को टक्कर देते हुए नज़र आए। यदि 2012 में कांग्रेस के बागी गुलजार निर्दलीय चुनाव मैदान में न आते तो आर्यन्द्र शर्मा इस सीट पर अपना परचम लहरा चुके होते परंतु मुस्लिम समुदाय का वोट गुलजार के पक्ष में जाने से भाजपा इस सीट को कब्जाने में सफल रही, 2017 में कांग्रेस की आपसी फूट के चलते सहसपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने आर्यन्द्र पर विश्वास न कर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को चुनावी मैदान में उतारा, हालांकि कांग्रेस के इस निर्णय से कांग्रेसी कार्यकर्ता खुद अचंभित हुए, परंतु आर्यन्द्र शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में आए। इस बार के चुनाव में निर्दलीय होने के चलते आर्यन्द्र को कांग्रेस का कैडर वोट नहीं मिल पाया परंतु आर्यन्द्र ने यह जरूर साबित किया कि उनकी सहसपुर क्षेत्र पर कितनी पकड़ है। 2017 के चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय ने खुलकर आर्यन्द्र का साथ दिया था जिसके चलते चुनावी टक्कर आर्यन्द्र और भाजपा के बीच ही रहीं परंतु भाजपा कांग्रेस की आपसी रंजिश का लाभ लेकर इस सीट को जीतने में फिर कामयाब रहीं। अब जबकि 14 फरवरी 2022 को उत्तराखंड राज्य में मतदान होना है और आर्यन्द्र शर्मा इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इस चुनाव में आर्यन्द्र का वजन पहले से ज्यादा भारी दिखाई दे रहा है। आर्यन्द्र शर्मा ने इस बार चुनाव के पहले दिन से ही कांग्रेस को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया। आर्यन्द्र शर्मा की सूझ-बूझ के चलते क्षेत्र के मुस्लिम नेता गुलजार अहमद, अकील अहमद आर्यन्द्र के साथ कन्धे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आ रहे हैं, जिससे भाजपा के माथे पर पसीना आता दिखाई दे रहा है। भाजपा ने आर्यन्द्र को टक्कर देने के लिए अपनी पूरी ताकत सहसपुर सीट पर लगा दी है परंतु वह आर्यन्द्र के चक्रव्यूह को भेद नहीं पा रही है। क्षेत्र का मुस्लिम वोटर अड़कर आर्यन्द्र के साथ खड़ा है वहीं दूसरी और कांग्रेस का कैडर वोट भी आर्यन्द्र के साथ है। आर्यन्द्र ने अपने कुशल व्यवहार, सरल स्वभाव और नेक नीयत से क्षेत्र के लोगों का दिल तो जीता ही है साथ ही जिस तरह से वह लोगों के साथ घुल मिल रहे हैं और लोगों की समस्याओं को सुन उन्हें निस्तारण का आश्वासन दें रहें हैं, उससे जनता के सामने उनकी एक आदर्श नेता की छवि उभर कर सामने आ रही है। भाजपा को इस बार अंदाजा हो गया है कि यह सीट उनके हाथ से निकल गयी है। आर्यन्द्र के खिलाफ भाजपा ने अपनी पूरी  ताकत झोंक दी हैं, परंतु आर्यन्द्र का विश्वास डीगता नजर नहीं आ रहा है वह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रहें हैं। क्षेत्र का मुस्लिम वोटर आर्यन्द्र को अपना नेता मान चुका हैं और इस सीट पर मुस्लिम हमेशा ही निर्णायक भूमिका में रहें हैं।

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