मुस्लिम महिला मंच के सम्मेलन में तीन तलाक का विरोध और राम मंदिर का समर्थन

अयोध्या । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष प्रचारक इंद्रेश कुमार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नाजायज संस्था बताया। कहा, ऐसे किसी बोर्ड का इशारा कुरान में नहीं है, न ही मुस्लिम देशों में ऐसा कोई बोर्ड अस्तित्व में है। वे मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के महिला प्रकोष्ठ की ओर से तुलसी स्मारक भवन के सभागार में आयोजित सम्मेलन के दौरान विचार व्यक्त कर रहे थे।

इंद्रेश के अनुसार, 1975 में कांग्रेस से ऊबे कुछ मुल्ला-मौलवियों ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का गठन कर कट्टरता की दुकान खोली। अपने उद्बोधन में कुरान का वास्ता देते हुए संघ के शीर्ष प्रचारक ने कहा, महिलाओं का स्थान अत्यंत ऊंचा है और उनके कदमों में जन्नत बताई गई है। उन्होंने बताया कि मौलानाओं ने तीन तलाक के समर्थन में जगह-जगह मुस्लिम महिलाओं के सम्मेलन एवं दो करोड़ हस्ताक्षर एकत्र करने का एलान किया पर बहुत कोशिश के बाद वे बमुश्किल सात लाख हस्ताक्षर एकत्र कर सके हैं।

इससे पूर्व मंच की महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय संयोजक रेशमा हुसैन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शहनाज अफजाल, अदीबा सैदानी, शाहीन परवेज, नाजरा हुसेन, डॉ. रिजवाना, नाजमा शबनम, शालिनी आर्य आदि ने भी विचार रखे और तीन तलाक के विरोध का आह्वान किए जाने के साथ रामजन्मभूमि पर मंदिर के समर्थन में मस्जिद का दावा छोडऩे की सलाह दी। सम्मेलन के दौरान सौ से अधिक मुस्लिम महिलाएं मौजूद रहीं।

मुस्लिम महिलाओं ने किया रामलला का दर्शन

तुलसी स्मारक भवन में सम्मेलन के बाद चार दर्जन से अधिक मुस्लिम महिलाओं ने रामलला का दर्शन किया। इससे पूर्व अपने उद्बोधन एवं प्रस्ताव से मुस्लिम मंच के महिला प्रकोष्ठ ने तीन तलाक के विरोध के साथ मंदिर के समर्थन की हुंकार भरी। मुस्लिम महिलाओं के साथ रामलला का दर्शन करने वालों में इंद्रेश कुमार के अलावा कई अन्य मुस्लिम भी थे।

बाबरी नाम से मस्जिद इस्लाम का अपमान 

बाबरी मस्जिद इस्लाम को अपमानित करने वाली रही है। यह दावा है संघ के प्रचारक इंद्रेश कुमार का। उन्होंने कहा, मस्जिद खुदा के नाम से बनती है न कि किसी व्यक्ति के नाम से। बाबरी मस्जिद का नाम भी अराजकता के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आया, जब बाबर के सेनापति मीरबाकी ने रामजन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़ कर उसे मस्जिद का आकार देने का प्रयास किया। उन्होंने यह भी कहा कि जिसे लोग मस्जिद कहते हैं, वह वास्तव में मंदिर का ही ढांचा था और निकट भविष्य में वहां राम मंदिर का निर्माण होगा। यदि जरूरी समझा जाए तो मस्जिद अयोध्या-फैजाबाद के बाहर निर्मित कराई जा सकती है।

‘किया गया गुमराह

सम्मेलन में हिस्सा लेने आईं कतिपय मुस्लिम महिलाओं ने आयोजकों पर गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, उन्हें विकास योजनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए बुलाया गया था पर यहां तीन तलाक का विरोध एवं मंदिर के समर्थन का एलान हो रहा था। मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक मुरारीदास ने गुमराह करने की बात को बेबुनियाद बताया। कहा, सम्मेलन का एजेंडा पहले से ही घोषित था।

मंदिर के समर्थन का प्रस्ताव

सम्मेलन के दौरान 11 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण, मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा, बहु विवाह पर पूर्ण रोक, तालीम-तरक्की का हक, दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा, मुस्लिम महिलाओं को पैतृक एवं पति की संपत्ति में हक की मांग प्रमुख है।

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