क्लीनिकल कानून लागू करने से बच रही है केजरीवाल सरकार: भाजपा

नई दिल्ली । मरीजों को निजी अस्पतालों की मनमानी से बचाने के लिए भाजपा ने अरविंद केजरीवाल सरकार से दिल्ली में क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 लागू करने की मांग की है। इसे लेकर दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

भाजपा लोगों के हित में आवाज उठा रही है

भाजपा नेता का कहा कहना है कि मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद करने के मामले में भाजपा पर दोष मढ़ने के बजाय मुख्यमंत्री को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। भाजपा लोगों के हित में आवाज उठा रही है। इसलिए सरकार को इस पर साकारात्मक रुख अपनाते हुए ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कि अस्पतालों में मरीजों के साथ मनमानी न हो।

नया कानून लागू किया जाना चाहिए

निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिए नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट 1953 की जगह नया कानून लागू किया जाना चाहिए। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी मुख्यमंत्रियों से अपील की है। अन्य केंद्र शासित प्रदेश और राज्य इसे लागू कर चुके हैं, लेकिन दिल्ली सरकार इसे लागू नहीं कर रही है। इस स्थिति में मैक्स और फोर्टिस अस्पतालों जैसी घटनाओं पर अंकुश नहीं लग सकेगा।

मरीजों को संरक्षण मिल सके

उन्होंने कहा कि अस्पताल विशेष के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय ऐसी चिकित्सा प्रणाली विकसित की जाए, जिसमें कि मरीजों को संरक्षण मिल सके। प्रभावी कानून होने से मनमानी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकेगी। इससे उनकी मनमानी पर अंकुश लग सकेगा। इसके बावजूद सख्त कानून लागू करने के बजाय सत्ता में आने के बाद से केजरीवाल सरकार ने बड़े निजी अस्पतालों का साथ दिया है।

निजी अस्पतालों की ज्यादा चिंता

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने अप्रैल, 2015 में कारपोरेट जगत को आश्वस्त किया था कि वे क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेट एक्ट को वर्तमान स्वरूप में लागू नहीं होने देंगे और उनके हितों का ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार मध्य व निम्न आय श्रेणियों और समाज के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा नहीं कर सकी है, क्योंकि उसे बड़े निजी अस्पतालों की ज्यादा चिंता थी। इसका खामियाजा दिल्लीवासियों को भुगतना पड़ रहा है।

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