प्रवर समिति की रिपोर्ट के बाद यूपीकोका लागू होने का रास्ता साफ

लखनऊ । विधान परिषद की प्रवर समिति ने उप्र संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2017 (यूपीकोका) को बिना किसी संशोधन के उसी स्वरूप में मंजूरी दे दी है, जैसा कि उसे विधानमंडल के पिछले सत्र में विधानसभा ने पारित किया था। यूपीकोका पर प्रवर समिति का प्रतिवेदन सोमवार को विधान परिषद में प्रस्तुत किया गया। उच्च सदन में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने प्रतिवेदन के औचित्य पर सवाल खड़े किये। हालांकि जानकारों का कहना है कि प्रवर समिति के प्रतिवेदन के बाद यूपीकोका के लागू होने का रास्ता साफ हो गया है।

भोजनावकाश के बाद विधान परिषद में नेता सदन व उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने यूपीकोका पर प्रवर समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उसी समय सपा के शतरुद्र प्रकाश ने प्रतिवेदन पर सवाल खड़े किये। यह कहते हुए कि प्रवर समिति के बहुमत के निर्णय के बिना प्रतिवेदन को सदन में रख दिया गया, न ही प्रवर समिति की बैठक में सदस्यों की ओर से विधेयक में सुझाये गए संशोधनों पर विचार किया गया। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने यूपीकोका को काला कानून बताते हुए कहा कि प्रवर समिति से इस बिल को मनमाने तरीके से पारित कराया गया है। लिहाजा इसे प्रवर समिति को दोबारा भेजा जाए। सपा के ही रविशंकर सिंह ‘पप्पू ने कहा कि प्रतिवेदन के पेज नंबर 46 पर यह उल्लेख है कि समिति के सदस्य के तौर पर बलराम यादव ने कहा है कि उन्होंने अपना संशोधन समय से और नियमानुसार दिया है।

सदन के अधिष्ठाता सुनील कुमार चित्तौड़ ने प्रवर समिति और सदन के वरिष्ठतम सदस्य ओम प्रकाश शर्मा से उनकी टिप्पणी जाननी चाही। इस पर ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि उन्हें बैठक से एक दिन पहले उसमें उपस्थित होने के लिए सूचना मिली थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समिति के सदस्यों को इतना अवसर मिले कि यदि वे चाहें तो अपना संशोधन प्रस्तुत कर सकें।

नेता सदन डॉ.दिनेश शर्मा ने विपक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि ओम प्रकाश शर्मा के कथन से यह साबित हो गया है कि उन्हें बैठक में शामिल होने के लिए सूचना दी गई थी। उन्होंंने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि सूचना कितने दिन पहले दी जाए। समिति के सदस्यों ने मौखिक या लिखित रूप से कोई आपत्ति नहीं दर्ज करायी है। उन्होंने पत्र लिखकर विचार जरूर प्रस्तुत किये हैं लेकिन संशोधन नहीं सुझाया। जब समिति के सामने कोई संशोधन ही नहीं प्रस्तुत किया गया तो बहुमत या मतदान का सवाल ही नहीं पैदा होता हैै। उन्होंने जोर देकर कहा कि बैठक का कोरम पूरा था। बैठक वैध थी। उसके निर्णय को चुनौती नहीं दी जा सकती है।

विधानमंडल के पिछले सत्र में यूपीकोका विधानसभा से पारित हुआ था लेकिन विधान परिषद में बहुमत न होने के कारण सरकार इसे पारित नहीं करा सकी थी। यह विधेयक विधान परिषद की प्रवर समिति को सौंपा गया था, जिसकी रिपोर्ट सोमवार को सदन में पेश की गई। विधान परिषद में प्रवर समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत होने के बाद यह विधेयक दोबारा विधानसभा में पेश किया जाएगा। विधान सभा में भाजपा के बहुमत को देखते हुए वहां इसके पारित होने में अड़चन नहीं आएगी। विधानसभा से पारित होने पर इसे राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *