कोरोना काल मे मानवता का दिखा न्यूनतम स्तर , किरायेदारो को मकान दुकान मालिक कर रहे परेशान

देहरादून। इस कोरोना ने मानवता को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है करोना के चलते जहा अधिकांश  व्यापार बंद है लेकिन मकान और दुकान मालिको के किराये का मीटर लगातार भाग रहा है भले ही देश के प्रधान मंत्री ने मानवता के नाते सभी किरायेदारो से किराया माफ करने की अपील मकान-मालिको से की हो लेकिन मकान-मालिको को अपने  लोभ के घडे को भरने की लालसा के चलते धरातल पर  भलीभूत होती नही दिख रही है राज्य के विभिन्न थाने चौकीयो तक अब किरायेदार बनाम मकान-मालिक विवाद पहुचने शुरू हो गये है गौरतलब है कि राजधानी मे अधिकांश शोरूम,ब्यूटी पार्लर, होटल ,रेस्टोरेंट, सहित छोटे और मझोले व्यवसाय किराये की बिल्डिंगो मे ही चल रहे है और लॉकडाउन के चलते करीब डेढ साल से सभी का कारोबार ठप्प पडा हुआ है  नतीजन  एक थाने मे तो एक किरायेदार ने पुलिस के सामने ही मकान मालिक को किराया ना दे पाने के चलते बढते विवाद के बाद परिवार सहित आत्म हत्या तक की धमकी दे डाली जिसे पुलिस ने बडा संयम बरतते हुए समझा बुझा कर शात कराया । जब इस बाबत हमने दोनो का पक्ष जाना तो पता लगा कि मकान मालिक के पास इस करोना काल मे किराये के अलावा और को आय का स्रोत नही है दूसरी तरफ किरायेदारो का कहना है कि इस करोना काल मे हम अपना और परिवार का पेट ही नही भर पा रहे तो किराया कहा से दे ,जब हमने इस बाबत करोना गाइडलाइन खंगाली तो उसमे कही ऐसा कुछ दिखाई नही दिया जिसमे किरायेदारो को कही से कोई राहत मिल सके अब राज्य सरकार को चाहिए कि मकान मालिको से किरायेदारो को कुछ समय के लिए किराये से राहत दिलाने की तरफ कोई सकारात्मक पहल करनी ही  चाहिए और जो समर्थ मकान या दुकान मालिक है उन्हे मानवता का पाठ पढाते हुए किरायेदारो को लोकडाऊन के दौरान किराया माफ करने के लिए आदेशित करना चाहिए। या फिर दिल्ली सरकार की तरह किरायेदार को राहत देने के लिए केन्द्र सरकार से आई कोविड मदद मे  से प्रभावित लोगो के किराये का भुगतान कर देवभूमि का गौरव बढाने का भगीरथ प्रयास करना चाहिए ताकि इस करोना जैसी महामारी मे जो अपनी और अपनो की जान बचाने मे सफल हुये है कही बेकारी के चलते तिल तिल ना मर जाये , अब देखना ये है कि लोगो की तरह सरकार की मानवता भी सो गई या फिर इन लाचार बेबस लोगो की मदद का प्रयास कर देवभूमि की आन ,बान, शान मे इजाफा करती है  आने वाले विधानसभा के चुनाव को मजबूत करने की कोशिश करती है या फिर इन कर्ज  मे डूबे किरायेदारो को उनके हाल पर छोड़ कर खुद चैन की बंसी बजा कर ये चरितार्थ करती है कि ,बुढा मरे या जवानहमे तो बस अपनो से काम । पहल करनी चाहिए ।

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