कैसे रुके बच्चियों के साथ दुष्कर्म
हमारे देश और समाज के सामने यह बहुत ही गंभीर सवाल है कि दुष्कर्म जैसी सामाजिक बुराईयों को कैसे रोका जाए। बच्चियों के साथ दुष्कर्म पर फांसी का प्रस्ताव है। केन्द्र सरकार ने कानून में संशोधन करने का मसौदा तैयार कर लिया है। बाल यौन उत्पीड़न सुरक्षा कानून (पास्को) में संशोधन किया जायेगा। इस संबंध में आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश लाया गया था जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के लिए फांसी का प्रावधान किया गया है। इस कानून में सजा सख्त की गयी है। अभी इसमें दस वर्ष की कैद या उम्र कैद व जुर्माने की सजा है। अगर दुष्कर्म के कारण बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो इसे एग्रीकेटेड पेजीट्रेशन सेक्सुअल असाल्ट माना जायेगा। आजकल बच्चियों को वेश्यावृति के पेशे में डालने के लिए उन्हें हार्मोन के इंजेक्शन लगाये जाते है। उन्हें कम उम्र में किशोर बनाने का प्रयास होता है। संविधान के तहत अब यह प्रयास अपराध की श्रेणी में आ जायेगा। पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री एकत्रित करना भी अपराध माना गया है जिसके तहत तीन साल की सजा का प्रावधान है। इसके बाद भी क्या नतीजा हासिल हुआ है? दुराचारियों को फांसी की सजा मिल भी रही है लेकिन काफी समय के बाद। इधर बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनायें बढ़ गयी है। अपसंस्कृति के कारण बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनायें बढ़ी हैं। बच्चियां नासमझ होती है, उन्हें आसानी से फुसलाया जा सकता है।
बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले प्रायः उनके अपने होते हैं। कभी रिश्ते का भाई, चाचा, सौतेला बाप व रिश्तेदार, परिवार का कोई परिचित होता है। नासमझ बच्चियां दुष्कर्म छिपाये रहती हैं। घिनौने अपराध के लिए कुछ कह नहीं पाती। यदि दुष्कर्म करने वाला कोई परिजन हो तो उसके खिलाफ जुबान खोलना मुश्किल होता है। एक दिन दुष्कर्मी की पोल खुल जाती है और आरोपी सलाखों के भीतर होता है। दुष्कर्म करने वाला कोई पुराना नौकर या ड्राइवर भी हो सकता है जिसे बच्ची ‘अंकल’ कहकर पुकारती है। कभी नौकर दुर्भावना से भी बच्चियों के साथ दुष्कर्म करते हैं। एक उदाहरण है किसी व्यक्ति ने ड्राइवर रखा। परिवार के सभी लोग उस ड्राइवर पर विश्वास रखते थे और उसे परिवार के सदस्य के रूप में महत्व देते थे। ड्राइवर नौकरी छोड़कर चला गया। एक दिवस किसी विवाह समारोह में दस साल की बच्ची को देखा। आरोपी, दुर्भावनावश उसे टाफी देने के बहाने सुनसान जगह में ले गया और उससे दुष्कर्म किया। वह और उसका साथी बाद में पकड़े गये जो सलाखों के भीतर है।
प्रायः वेश्यावृति में लिप्त महिलाओं की बच्चियों पर बदमाशों की कुदृष्टि होती है। दलाल उसे भी इसी धंधे में डालने के फिराक में रहते है। कभी-कभी 10-12 वर्ष की बच्ची को जवान बनाने के लिए हार्मोन के इंजेक्शन दिये जाते हैं। उसे इस तरह से पाला पोषा जाता है कि वह इस पेशे में आ जाये। अब ऐसा प्रयास भी अपराध की श्रेणी में आ जायेगा। कुछ व्यक्ति या शिक्षक विकृत मनोवृत्ति का शिकार होते हैं वे इंटरनेट पर बच्चियें की तस्वीरें देखते हैं। इनकी फोटो डाउनलोड करते हैं। फेसबुक पर उनके प्रति अगाध स्नेह प्रदर्शित करते हैं उनके लिए खास शब्द व वाक्य गढ़ते है। ऐसा ही एक शिक्षक बच्चियों के प्रति स्नेह व प्रेम प्रदर्शित करता था। एक दिन उसने कक्षा से बाहर एक बच्ची से दुष्कर्म कर शिक्षा के पवित्र पेशे को कंलकित कर दिया।
कभी विकृत मनोवृत्ति के व्यक्ति बच्चियों के अंगों को सहलाते है और उनका चुम्बन लेते है। ऐसे दुष्ट व्यक्तियों से बच्चियों को बचाना चाहिए। कभी बाबा के वेश में अपराधी बच्चियों को उठा ले जाते है। उनसे दुष्कर्म करते हैं और उन्हें भिखारी बना देते हैं। कूड़ा बीनने वाले व घर में काम करने वाली नौकरानियों की बच्चियों के प्रति कुदृष्टि रखते हैं। उनके साथ दुष्कर्म की संभावना अधिक होती है। कई शहरों व कस्बों से बच्चियां अचानक गायब हो गयी। उनका आज तक अता-पता नहीं है। यह अफसोस जनक है कि बच्चियों के मां बाप व अभिभावक इतने लापरवाह है। वे बच्चियों की खोज में क्यों सक्रिय नहीं रहे। बच्चियों व बालिकाओं की मानव तस्करी होती है। इन बच्चियों को देश से बाहर ले जाकर उनसे घरेलू नौकरानियों का काम कराया जाता है। मानव तस्करी के मामले में भारत, नेपाल, म्यांमार व बांग्लादेश सबसे आगे है।
बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को फांसी देने का प्रस्ताव है और कानून भी बन गया है राज्यों में यह कानून बनने पर दुष्कर्मियों को सबक मिलेगा लेकिन दुष्कर्म का पुख्ता सबूत जरूरी है। दुष्कर्मी कोई-कोई ही सबूत छोड़ता है जिसे जांच अधिकारी आधार मानकर दुष्कर्मियों को सजा दिला सकते है।