सिस्टम से आहत आजादी के इस सिपाही ने फिर संभाला मोर्चा

उत्तरकाशी : टिहरी राजशाही के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंकने वाले उत्तरकाशी जिले के एकमात्र बचे 91 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी चिंद्रियालाल सिस्टम की बेरुखी से बेहद आहत हैं। बीते चार साल से अपनी ही भूमि पर खुद आर्थिक मदद देकर गांव के गरीब लोगों के लिए सामुदायिक भवन बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर रहे हैं। लेकिन, मजाल क्या कि अफसरों ने उनकी मांग पर गौर करना जरूरी समझा हो। हर चौखट से निराश हो चुके आजादी के इस सिपाही ने अब चेतावनी दी है कि अगर समस्या का निदान न हुआ तो वह दिसंबर से धरने पर बैठ जाएंगे।

स्वतंत्रता सेनानी चिंद्रियालाल का गांव ब्रह्मखाल जुणगा जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 50 किलोमीटर की दूर है। यहां अपनी पट्टे की भूमि पर वह गरीब लोगों के लिए सामुदायिक भवन बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे आर्थिक मदद देने को भी तैयार हैं।

विडंबना देखिए कि बीते चार साल से उन्हें सामुदायिक भवन बनाने की अनुमति नहीं मिल पाई। जबकि, इस बाबत चिंद्रियालाल डीएम से लेकर सीएम तक को बीसियों पत्र भेज चुके हैं। साथ ही स्वयं भी जिला मुख्यालय में अफसरों की चौखट-चौखट भटक रहे हैं। सात माह पहले तत्कालीन जिलाधिकारी जब ब्रह्मखाल गए तो उनके सामने भी चिंद्रियालाल ने यह बात रखी थी।

समस्या इतनी ही नहीं है। असल में जिस भूमि पर सामुदायिक भवन बनाया जाना है, वहां प्रांतीय खंड लोनिवि उत्तरकाशी ने दो दशक पहले ब्रह्मखाल-जुणगा मोटर मार्ग निर्माण के दौरान मलबा उड़ेल दिया था। जिसे आज तक हटाया नहीं गया। इस संबंध में जब लोनिवि के ईई वीएस पुंडीर से पूछा गया तो उनका टका सा जवाब था, ‘मैं कुछ समय पहले ही यहां आया हूं। इस मामले की मुझे जानकारी नहीं है। अगर स्वतंत्रता सेनानी की कोई परेशानी है तो उन्हें संबंधित क्षेत्र के अवर अभियंता को लेकर उनके पास आना चाहिए।’

रैन बसेरा की गुणवत्ता सवालों में 

दो साल पहले स्वतंत्रता सेनानी चिंद्रियालाल के नाम पर जिला पंचायत ने ब्रह्मखाल में एक रैन बसेरा बनाया। लेकिन, उसमें बेहद घटिया  क्वालिटी की निर्माण सामग्री लगाई गई है। चिंद्रियालाल इसकी जांच की भी मांग कर रहे हैं। बकौल चिंद्रियालाल, ‘रैन बसेरा की दीवार से पानी अंदर आ रहा है। ऐसे में मुसाफिर यहां कैसे ठहर पाएगा।’

उनकी मांग है कि भ्रष्टाचार में शामिल लोगों से इसकी वसूली हो और इस धनराशि से रैन बसेरा की मरम्मत की जाए। हालांकि, इस संबंध में बीते अप्रैल में तत्कालीन जिलाधिकारी ने जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी को जांच के निर्देश दिए थे। लेकिन, हुआ आज तक कुछ भी नहीं।

17 साल की उम्र में प्रजामंडल का हिस्सा बने

डुंडा ब्लाक के जुणगा गांव में जुलाई 1927 में जन्मे चिंद्रियालाल चौथी कक्षा तक ही पढ़ पाए। तब टिहरी रियासत में राजशाही के खिलाफ आक्रोश पनपने लगा था। सो, 1944 में चिंद्रियालाल भी प्रजामंडल आंदोलन में कूद पड़े।  उसी दौरान श्रीदेव सुमन की टिहरी जेल में शहादत हुई थी।

स्वतंत्रता सेनानी नत्था ङ्क्षसह कश्यप, रामचंद्र उनियाल, परिपूर्णानंद पैन्यूली व त्रेपन ङ्क्षसह नेगी के संपर्क में आने के बाद चिंद्रियालाल भी राजशाही की आंखों की किरकिरी बन गए। प्रजामंडल के कार्य से चंबा लौटते समय एक दिन धरासू के पास राजा की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनका घर और जमीन भी कुर्क कर ली गई। लेकिन, चिंद्रियालाल ने हार नहीं मानी और राजशाही के तख्तापलट तक आंदोलन से जुड़े रहे।

शासन को भेजेंगे प्रस्ताव 

अपर जिलाधिकारी प्यारे लाल शाह के मुताबिक स्वतंत्रता सेनानी मुझसे मिले थे। जिस भूमि पर वे सामुदायिक भवन बनाना चाह रहे हैं, वह पट्टे की है और कृषि उपयोग के लिए है। भवन बनाने के लिए पहले लैंड यूज बदलना होगा। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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