फर्श से अर्श तक पहुंचने का क्रिकेटर मानसी जोशी का सफर

देहरादून : गली में लड़कों के साथ गली क्रिकेट खेलने वाली देहरादून की मानसी जोशी ने लॉर्ड्स तक का सफर तय कर उन लोगों के लिए मिसाल कायम की है, जो सिर्फ संसाधनों का रोना रोते हैं। महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में पाक के खिलाफ दो विकेट लेकर उन्होंने एक शानदार जीत की नींव रखी थी।

मूल रूप से उत्तरकाशी के ब्रह्मखाल और हाल में देहरादून निवासी मानसी जोशी को करियर बनाने में माता-पिता ने पूरा सपोर्ट किया। मानसी कहती हैं कि बगैर घर के सपोर्ट और एक अच्छे कोच की वजह से ही उन्होंने अब तक का यह सफर तय किया है। शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि मानसी क्रिकेट खिलाड़ी होने से पहले एक एथेलेटिक्स प्लेयर भी रही हैं। उन्होंने नेशनल में 100 मीटर और 200 मीटर में उत्तराखंड के लिए कई पदक भी जीते हैं। मानसी कहती हैं कि जब मैं कक्षा दस में पढ़ती थी, तब उनका हरियाणा की अंडर-19 टीम में सलेक्शन हुआ। इसके बाद उन्होंने वहीं से रणजी ट्रॉफी खेली और बेहतर प्रदर्शन ने उनके लिए टीम इंडिया के दरवाजे खोल दिए।

फरवरी 2017 में आयरलैंड के खिलाफ उन्होंने अपने वनडे क्रिकेट का आगाज किया। मानसी ने बताया कि घर वालों ने हमेशा ही मेरा पूरा साथ दिया है। पापा भूपेंद्र जोशी और मम्मी शांति जोशी ने उनके हर डिसिजन का सपोर्ट किया है। उन्होंने मानसी खेलने के लिए हरियाणा भेजा, देहरादून में भी मैं रही। मानसी बताती है कि मम्मी का ट्रांसफर होने के कारण उन्हें रुड़की में भी रहने का मौका मिला। तब रुड़की की एक ऐकेडमी में उन्होंने  कोचिंग लेनी शुरू की। वहीं से वह हरियाणा ट्रायल के लिए गईं। इस बीच एक मैच खेलने के लिए उन्हें देहरादून आना पड़ा। जहां उनकी मुलाकात उनके वर्तमान कोच भूपेंद्र सिंह रौतेला से हुई और वह कोचिंग लेने के लिए देहरादून शिफ्ट हो गई।

इसके बाद उन्होंने उन्हीं के अंडर में ट्रेनिंग ली है। क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानने वाली मानसी को अपने पहले ही वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेलने का मौका मिला, जहां उन्होंने दो विकेट हासिल किए। इससे पहले मानसी ने एशिया कप और वर्लड कप क्वालीफाइंग मैचों में भी बेहतर प्रदर्शन किया था।

आज जहां भी हूं, रौतेला सर की वजह से 

मानसी कहती हैं कि मैं आज जहां भी हूं, भूपेंद्र रौतेला सर की वजह से ही हूं। रौतेला सर ही मुझे देहरादून लेकर आए, इसके बाद सेंट जोसफ के मैदान में ही उन्होंने मुझे खेलने की परमिशन भी दिलाई। क्योंकि वहां पर अधिकतर लड़के ही प्रेक्टिस के लिए आया करते थे। उन्होंने मुझे पूरे-पूरे दिन प्रेक्टिस कराई है।

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