चौहान और मायावती का होगा मुकाबला

मध्य प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्रों में चुनाव के समीकरण भी बदलते रहते हैं। इस बार समीकरण कैसे बनते हैं यह अभी पूरी तरह साफ नहीं है क्योंकि भाजपा के विरोध में विपक्षी दलों के गठबंधन ने मध्य प्रदेश में अब तक ठोस आकार नहीं लिया है। इसलिए यहां के ग्वालियर ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुश्री मायावती की बसपा से मुकाबला करना होगा। राज्य में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन पिछले 15 साल से भाजपा ही सत्ता पर काबिज है। ग्वालियर एक महत्वपूर्ण स्थान है जहां पर विधानसभा की 6 सीटें हैं। यहां पर कुशवाहा वोटर्स का वर्चस्व है और वह बसपा का वोट बैंक रहा है। इस प्रकार ग्वालियर ग्रामीण क्षेत्र में बसपा और भाजपा के बीच ही मुकाबला होता रहा है। सत्ता से 15 साल दूर रहने के बाद कांग्रेस एक बार फिर सत्ता का स्वाद चखना चाहती है। अब देखना है कि बसपा का कांग्रेस से गठबंधन होता है अथवा नहीं क्योंकि बिना गठबंधन के ग्वालियर क्षेत्र में भाजपा को पराजित करना मुश्किल हो जाएगा।
राज्य के 51 जिलों में एक महत्वपूर्ण जिला ग्वालियर है। यहां पर ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर ईस्ट, ग्वालियर साउथ भितरवार और डाबरा विधानसभा सीट है। ग्वालियर ग्रामीण सीट ग्वालियर लोकसभा सीट का ही हिस्सा है। इससे पूर्व 2008 तक इस विधानसभा सीट को मुरार विधान सभा सीट के नाम से जाना जाता था। ग्वालियर ग्रामीण सीट पर मौजूदा समय में भाजपा का ही कब्जा है और भरत सिंह कुशवाहा यहां के विधायक हैं। कुशवाहा मतदाताओं की संख्या ज्यादा है और यहां पर मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच नहीं बल्कि भाजपा और बसपा के बीच होता है। सुश्री मायावती ने मध्य प्रदेश का दौरा करते समय यहां के नेताओं से विशेष रूप से चर्चा की। बसपा का प्रत्याशी 2008 में यहां से विजयी भी रहा था। ऐसा भी नहीं कि कांग्रेस मुकाबले से पूरी तरह बाहर हो गयी है बल्कि इस बार उसकी तैयारी इस क्षेत्र में भी अच्छी है। माना जा रहा है कि इस बार भी भाजपा अपना प्रत्याशी नहीं बदलेगी क्योंकि श्री भरत सिंह कुशवाहा ने बसपा से यह सीट छीनी थी। इसलिए श्री भरत सिंह कुशवाहा ही पुनः भाजपा की तरफ से प्रत्याशी बनाए जाएंगे। खबरे मिल रही हैं कि कांग्रेस यहां पर कल्याण सिंह कंसाना को अपना प्रत्याशी बनाएगी। इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस की तरफ से रामसेवक सिंह गुर्जर भी प्रबल दावेदार हैं। बसपा की तरफ से अभी पूर्व विधायक लाखन सिंह बघेल का ही नाम सामने आ रहा है। इससे लगता है कि मुकाबला बसपा और भाजपा के बीच ही होगा।
ग्वालियर ग्रामीण क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता कुशवाहा जाति के हैं। इनकी संख्या 35-40 हजार के करीब बतायी जाती है। दूसरे स्थान पर दलित अर्थात जाटव वोट हैं। इनकी संख्या 25 हजार के करीब बताई जाती है। तीसरे नम्बर पर गुर्जर और चौथे नम्बर पर बघेल मतदाता हैं। गुर्जर लगभग 20 हजार तो 15 हजार बघेल हैं। ब्राह्मण और यादव मतदाताओं की संख्या यहां लगभग बराबर है। ब्राह्मण और यादव मतदाता आठ से दस हजार के बीच है। वर्ष 2013 में यहां चुनाव हुए तो भाजपा के विजय सिंह कुशवाहा को 47944 मत मिले थे और दूसरे स्थान पर कांग्रेस के रामसेवक बाबू जी रहे थे। उनको 36 हजार के करीब मत मिले थे। बसपा प्रत्याशी मदन कुशवाहा को 16 हजार मत ही मिल पाये लेकिन इस बार उनकी तैयारी ज्यादा दिख रही है। वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश विधानसभा के कुल 231 सदस्यों में 230 सदस्यों के लिए ही चुनाव हुआ था। एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है। भाजपा ने 165 विधायक जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी थी। कांग्रेस को सिर्फ 58 विधायक मिल पाये थे और सुश्री मायावती की पार्टी बसपा को चार विधायक मिले थे।

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