सामने आई मैक्स अस्पताल की एक और लापरवाही, चली गई मरीज की जान
नई दिल्ली । शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में एक और लापरवाही का मामला सामने आया है। सीने में दर्द के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए एक अधेड़ की इलाज के क्रम में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि जिस सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट से इलाज कराने आए थे, उनके छुट्टी पर होने की जानकारी नहीं दी गई और मरीज को भर्ती कर लिया गया। ऐसे में सीनियर डाक्टर के बदले जूनियर डॉक्टर ने उपचार शुरू किया।
परिजनों की अनुमति के बिना ही मरीज के हृदय में तीन स्टेंट डाल दिए गए और इसके दस मिनट बाद ही मरीज ने दम तोड़ दिया। इस बाबत परिजनों से मिली शिकायत के आधार पर शालीमार बाग थाना पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल में रखवा दिया है।
शव के पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। 30 नवंबर को भी एक जिंदा नवजात को मृत बताने के मामले में अस्पताल की लापरवाही सामने आ चुकी है।
बिना अनुमति के डाल दिए तीन स्टेंट
मृतक की बेटी सारिका शर्मा ने बताया कि उनके पिता कमलेश शर्मा (58) को सोमवार दोपहर सीने में तेज दर्द होने पर पास के ही एक अस्पताल में दिखाया गया। जहां डॉक्टर ने पिता को हार्ट अटैक बताकर मैक्स अस्पताल के एक सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट के पास रेफर कर दिया। परिजन उन्हें लेकर मैक्स अस्पताल पहुंचे और वहां सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट का नाम बताते हुए इलाज शुरू करने के लिए कहा।
सारिका ने बताया उक्त डॉक्टर के नहीं होने के बावजूद उन्हें भर्ती कर लिया गया। उनकी एंजियोग्राफी की गई और बताया गया कि उनकी बाईपास सर्जरी करनी होगी। इसके लिए आठ लाख रुपये का इंतजाम करने को कहा गया। इसके कुछ देर के बाद एक डॉक्टर ने तीन लाख रुपये का बिल बताते हुए कहा कि मरीज की एंजियोग्राफी करते समय हृदय में तीन स्टेंट डाले गए हैं ।
मृतक की बेटी के मुताबिक वहां के डॉक्टरों ने उनकी अनुमति के बगैर ही स्टेंट डाल दिए। स्टेंट डालने के कुछ देर के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उनकी हालत नाजुक हो गई है और दस मिनट के बाद ही बताया कि उनके पिता की मौत हो गई है।
डॉक्टर से न मिलवाने पर खुला राज
सारिका ने बताया की जिस डॉक्टर से इलाज कराना था, उस डॉक्टर से मिलवाने की बात कही तो वहां मौजूद डॉक्टरों ने कुछ भी नहीं कहा। फिर हमने रिसेप्शन पर जाकर पता किया तो पता चला की जिस डॉक्टर से हम दिखाना चाह रहे थे, वह छुट्टी पर हैं। इससे पहले परिजन को यह पता था कि मरीज का वही डॉक्टर इलाज कर रहा है, जिससे वह इलाज करवाना चाहते थे। उनका आरोप है कि उन्हें मैक्स अस्पताल प्रशासन ने गुमराह किया है, जिसके चलते उनके पिता की मौत हुई है।
अस्पताल का पक्ष
मैक्स हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि मरीज 25 दिसंबर को इमरजेंसी में आया था, उन्हें चेस्ट पेन और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। जांच की गई तो पता चला कि दिल का दौरा पड़ा है। इसके बाद आगे की जांच की गई, जिसमें पता चला कि तीन आर्टरी में ब्लॉकेज है। मरीज की उम्र 58 साल थी और उन्हें डायबिटीज व हाइपरटेंशन था। वह धूमपान भी करते थे। इसके बावजूद डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन हम उन्हें नहीं बचा पाए। हमारी संवदेना परिवार के साथ है। अस्पताल का कहना है कि हमने मरीज के इलाज के लिए सभी स्टेबलिश प्रोटोकॉल को पूरा किया है।