मुंबई में बड़ा हादसा 4 लोगों की मौत

मुंबई में गुरुवार शाम बड़ा हादसा हो गया. यहां के अति व्यस्त छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) के बाहर एक फुटओवर ब्रिज गिर गया जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 30 से ज्यादा लोग घायल हैं. घटना के तुरंत बाद रेलवे ने अपना बयान जारी किया और कहा कि फुटओवर ब्रिज उसका नहीं है बल्कि बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (बीएमसी) का है. जिस सीएसटी पर यह घटना हुई उसका नाम पहले विक्टोरिया टर्मिनस (वीटी) था.

इस घटना में अब भी मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है. लोगों को सेंट जॉर्ज और जीटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. आसपास के लोगों ने घायलों की काफी मदद की और उन्हें मलबे से निकालकर अस्पताल पहुंचाया.

घटना के बारे में एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि पुल के गिरते ही बड़ी जोर की आवाज आई. नीचे कुछ महिलाएं थीं. एक महिला के हाथ में छोटा बच्चा भी था. एक महिला केला बेचने वाली हॉकर थी. जीटी अस्पताल के अंदर काम करने वाली भी एक महिला थी. कम से कम 20 लोग पुल के नीचे उस दौरान जा रहे थे. हादसे के वक्त कुछ लोग ऊपर से नीचे गिरे, गिरते ही शोर मच गया. इसमें 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए.

प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि साढ़े सात बजे की यह घटना है. एक टैक्सी के ऊपर मलबा गिरा. पूरी टैक्सी मलबे में दब गई. कई लोगों ने मिलकर टैक्सी को पीछे हटाया. पूरा मलबा लोगों ने हटाया. इसके बाद जो लोग उसमें फंसे थे, उन्हें निकाला गया. पब्लिक ने दस लोगों को एंबुलेंस में डाला और अस्पताल पहुंचाया. इस दौरान कम से कम 4 लोगों की यहीं मौत हो गई थी. घटना के बारे में एमआईएम के विधायक वारिश पठान ने कहा कि ‘घटना की जवाबदार मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और प्रदेश सरकार है. एलिफिंस्टन रोड का जब ब्रिज गिरा था, तब हमने देखा था वहां लाशों की ढेर लग गई थी. सरकार से कहा गया था कि मुंबई में इस तरह के जितने ब्रिज हैं, उनकी मरम्मत की जाए लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगा. 35 हजार करोड़ रुपए का मुंबई बीएमसी का बजट है. ये बीएमसी के बजट में आता है. हजारों लोग यहां से ट्रैवल करते हैं. सरकार को पता है कि यहां कभी भी हादसा हो सकता है मगर सरकार ने कुछ नहीं किया. सरकार के पास 6 हजार करोड़ रुपया है, मॉन्यूमेंट बनाने के लिए. सरकार को लोगों की सुरक्षा की कोई फिक्र नहीं है. हमारी सरकार से मांग है कि जो भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, चाहे नगर निगम के कर्मचारी हों या प्रदेश सरकार के अधिकारीं हों, सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करे और उन्हें सस्पेंड करे. बार बार सरकार से बोलने पर भी कुछ नहीं हो रहा है. सरकार आएगी और मुआवजा दे देगी लेकिन जान तो वापस नहीं आएगी. पब्लिक सेफ्टी के लिए सरकार कुछ भी नहीं कर रही. पुल का ऑडिट किया लेकिन काम क्यों नहीं किया.’

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