योजनाओं पर हों सैनिक पुनर्वास संस्था की निधि का उपयोग: राज्यपाल

देहरादून, । उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा० कृष्ण कांत पाल की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को उत्तराखण्ड सैनिक पुनर्वास संस्था की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें संस्था के कार्य कलापों की गहन समीक्षा की गई तथा कई अहम निर्णय लिए गए।
पूर्व सैनिकों के कल्याण की दृष्टि से १९४५ में स्थापित इस संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संस्था को लीज पर उपलब्ध कराई गई ४८२.७८५ एकड कृषि भूमि तथा ९४०.१४३ एकड़ वन भूमि के अधिकाधिक व्यावसायिक लाभ की सारी सम्भावनाएं खोजने औैर उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की दृष्टि से राज्यपाल द्वारा अपर मुख्य सचिव कृषि डा० रणबीर सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है जो २ माह के अन्तर्गत अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। तीन वर्ष बाद आहूत इस बैठक में राज्यपाल ने कहा कि पुनर्वास संस्था के आय के स्रोत में वृद्धि के लिए उद्यमिता कौशल के साथ इस बेशकीमती व उपजाऊ भूमि का दोहन करना होगा। इससे संस्था के वित्तीय घाटे को लाभ में परिवर्तित किया जाना आसान होगा। उन्होंने कमर्शियल कैश क्रौप (नकदी फसलें) लगाने पर विशेष बल देते हुए कहा कि इस सम्बंध में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की विशेषज्ञता का लाभ लिया जाना सर्वाधिक उपयुक्त होगा।
राज्यपाल ने, जखोली रूद्रप्रयाग में निर्माणाधीन सैनिक स्कूल केे लिए संस्था की निधि से निर्गत रू० ५ करोड़ की धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार से कराने के लिए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश भी दिए। इसके साथ ही संस्था को प्राप्त कृषि और वन भूमि के लीज नवीनीकरण/विस्तार पर भी यथाशीघ्र कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा भी की गई। उन्होंने यह भी कहा कि सैनिक विधवाओं द्वारा निर्मित उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था सुनिश्चित होनी जरूरी है। इसके लिए सभी राजकीय प्रदर्शनियों/मेलांे में एक्स सर्विस मैन के लिए एक निःशुल्क काउंटर उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। राज्यपाल द्वारा, संस्था की निधि(थ्न्छक्)का उपयोग केवल पूर्व सैनिकों के परिवार तथा सैनिक विधवाओं के कल्याणार्थ एवं पुनर्वास योजनाओं पर ही किए जाने के निर्देश दिए गए। आज की बैठक में विभिन्न छात्रवृत्तियों और प्रोत्साहन राशि में वृद्धि किए जाने का भी निर्णय लिया गया।

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