पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोंकझोंक

देहरादून;इं.वा. संवाददाता। बैकलाॅग के अंतर्गत रिक्त पड़े पदों पर भर्ती किये जाने की मांग को लेकर आरक्षित वर्ग के बेरोजगारों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए अपने अनिश्चितकालीन धरने को जारी रखते हुए नारेबाजी के बीच विधानसभा कूच किया और पुलिस ने उन्हें रिस्पना पुल के पास बैरीकैडिंग पर रोक लिया और इस बीच पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर तीखी नोंकझोंक हुई और हंगामा किया, बाद में सभी वहीं पर धरने पर बैठ गये।
यहां परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी बैकलाॅग संघर्ष समिति से जुड़े हुए बेरोजगार डीबीएस कालेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कमलेश भटट के नेतृत्व में इकट्ठा हुए और वहां पर उन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ अपने आंदोलन व अनिश्चितकालीन धरने को जारी रखते हुए प्रदर्शन किया। इस बीच सभी बेरोजगारों ने एकमत होते हुए विधानसभा कूच किया। प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विभिन्न मार्गों से होते हुए जैसे ही रिस्पना पुल के पास पहंुचे तो वहां पर पुलिस ने बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया। पुलिस द्वारा रोके जाने पर प्रदर्शनकारियों ने वहां पर जमकर हंगामा किया और तीखी नोंकझोंक हुई, कुछ ने आगे बढने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें कामयाब नहीं होने दिया। कापफी देर तक हंगामा करने के बाद सभी वहीं धरने पर बैठ गये।इस अवसर पर बेरोजगारों का कहना है कि एससी, एसटी, ओबीसी के आरक्षित वर्ग के बैकलाॅग पदों को विभिन्न विभागों में रिक्त लगभग चालीस हजार पदों की विज्ञप्ति जारी करने की मांग को लेकर आंदोलित है लेकिन आज तक किसी भी आरक्षित वर्ग के मंत्री व विधायकों ने उनकी सुध नहीं ली है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि लंबे समय से उनकी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है और मात्र कोरे आश्वासन दिये गये है, उनका कहना है कि सरकार भी इस दिशा में किसी भी प्रकार की कार्यवाही आज तक नहीं कर पाई है जो चिंता का विषय है।उनका कहना है कि वर्तमान में उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में एससी, एसटी, ओबीसी के चालीस हजार से अधिक पद रिक्त है और इन रिक्त पदों को बैकलाॅग के आधार पर भरे जाने की आवश्यकता है लेकिन लगातार संघर्ष करने के बाद भी इस ओर अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है जिससे शिक्षित बेरोजगार वर्ग में निराशा का भाव पैदा हो रहा है।उनका कहना है कि जबकि सरकार द्वारा तीन बार शासनादेश जारी किया गया लेकिन उसके बाद भी नतीजा शून्य ही साबित हुआ है।

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