आप कब तक कर सकेंगे चारपहिया की सवारी, कुंडली से जानें वाहन योग

आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में लोग आत्मिक सुख की ओर कम भौतिक सुख की ओर अधिक आकर्षित रहते हैं। भौतिक सुख में वैसे तो बहुत सारी चीजें आती हैं किन्तु वाहन सुख सबसे अहम है। वाहन सुख प्राप्त करने के लिए लोग तरह-तरह के जतन करते हैं कि काश हम भी तेज रफतार भरी जिंदगी में वाहन के माध्यम से ऐशो आराम भरी लाइफ का आनंद ले सकें। वाहन सुख की प्राप्ति कब होगी, इसकी गणना ज्योतिष के माध्यम से करना ज्यादा उपयोगी है। चतुर्थेश, कुण्डली में स्वराशि में हो, मित्र राशि में हो, मूल त्रिकोण में या उच्च राशि में हो। चतुर्थ भाव पाप ग्रहों की दृष्टि से मुक्त हो तथा शुक्र जब बलवान होकर लग्न अथवा त्रिकोण में गोचर करे तब वाहन की प्राप्ति के लिए प्रयास करना चाहिए।

वाहन प्राप्त में भाव और ग्रहों का रोल-

जन्मकुण्डली में चतुर्थ भाव, चतुर्थ भाव का कारक ग्रह, चतुर्थ भाव पर पड़ने वाले ग्रहों की दृष्टि वाहन सुख प्राप्त करने में सहायक होती है। शुक्र ग्रह को वाहन सुख का प्रमुख कारक माना जाता है। किसी जातक को वाहन सुख की प्राप्ति होगी या नहीं इसका विचार शुक्र ग्रह की स्थिति, चैथे भाव में बैठे ग्रह के षडबल, भाग्य भाव एंव लाभ स्थान से किया जाता है।

कुण्डली में वाहन के कुछ महत्वपूर्ण योग-

1-यदि जन्म कुण्डली में चतुर्थेश लग्नेश के घर में हो तथा लग्नेश चतुर्थेश के भाव में हो यानि दोनों के बीच स्थान परिवर्तन का योग बन रहा हो तो जातक को बड़े वाहन के सुख की प्राप्ति होगी।

2-चतुर्थ भाव का स्वामी तथा नवम भाव का स्वामी अगर लग्न भाव में बैठा है तो व्यक्ति को वाहन सुख मिलता है।

3-यदि कुण्डली में नवम, दशम व लाभ भाव में शुक्र के साथ चतुर्थेश की युति हो तो वाहन की प्राप्ति होती है।

4-अगर चतुर्थेश का सम्बन्ध शनि के साथ हो अथवा शनि व शुक्र की युति हो या शुक्र पर राहु की दृष्टि हो तो वाहन प्राप्त होने में काफी संघर्ष करना पड़ता है।

5-जिस कुण्डली में चतुर्थ भाव बलवान हो, शुक्र का लाभेश के साथ सम्बन्ध हो तथा पंचम भाव में गुरू बैठा हो। ऐसे व्यक्ति के साथ वाहनों का काफिला चलता है।

6-जब कुण्डली में चतुर्थेश उच्च राशि में शुक्र के साथ हो तथा चैथे भाव में सूर्य स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को लगभग 30 वर्ष की अवस्था तक वाहन सुख प्राप्त होने की सम्भावना रहती है।

7-लाभ भाव में चतुर्थेश बैठा हो एंव लग्न में शुभ ग्रह बैठे हो तथा लग्न में शुभ ग्रह स्थित हो तो लगभग 15 से 20 वर्ष की अवस्था तक वाहन सुख मिलता है।

8-अगर चतुर्थ भाव का स्वामी नीच राशि में बैठा हो एंव लग्न में शुभ ग्रह बैठे तो भी किशोरावस्था में वाहन सुख मिलने के आसार रहते है।

9-यदि जन्मकुण्डली में दशम भाव का स्वामी चतुर्थेश के साथ युति कर रहा हो दशमेश अपने नवमांश में उच्च का होकर बैठा हो तो वाहन सुख मिलता देर से मिलता है।
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Source: hindi.oneindia.com

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