अखिलेशजी को काम की नहीं कारनामों की आदत है- PM

लखीमपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखीमपुर में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सिर्फ कुर्सी के मोह में अखिलेश यादव कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि लोहियाजी जीवन भर कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे उसी कांग्रेस से अखिलेश यादव ने गठबंधन कर लिया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं यहीं से लखनऊ जाने को तैयार हूं, आप भी अखिलेश जी मेरे साथ चलिए हम दोनों लखनऊ के मेट्रो स्टेशन पर जाएं टिकट खरीदे और सफर कर के आए, भारत सरकार ने पैसे दिए थे लेकिन भारत सरकार के किसी भी मंत्री को बुलाया तक नहीं था।
प्रधानमंत्री के भाषण के मुख्य अंश
2014 में कांग्रेस इस मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थी कि अगर उनकी सरकार बनी तो उन्होंने कहा कि एक साल में हम 9 सिलेंडर को 12 कर देंगे।
आप बताइए 23 गांव में काम करने वाली, 3 तीन गांव में काम करने वाली या 1364 गांवों में काम करने वाली सरकार चाहिए। बताइए काम बोलता है कि नहीं, उनके कारनामे बोलते हैं।
2014 में मैं जब पीएम बना मैंने दो साल के भीतर 1364 गांवों में बिजली पहुंचाई
यूपी में 2012-14 के बीच नौजवान मुख्यमंत्री ने सिर्फ 3 गांव में बिजली पहुंचाई।
जब मायावती की सरकार थी तो यूपी के 23 गांवों में बिजली का काम हुआ जहां बिजली नहीं थी, यह काम 2 साल में हुआ था।
हर थाने को सपा का कार्यालय बना दिया गया है, जबतक सपा का नेता कुछ कहता नहीं है थाने में कोई काम नहीं होता है।

जब इस अधिकारी ने पब्लिकली कहा कि 70 लाख रुपए मांगे जाते हैं तो उसे सस्पेंड कर दिया।

जब अधिकारियों से पैसा मांगा जाएगा तो वह लाएगा कहां से, वह आप ही से पैसा लूटेगा कि नहीं।
ये काम बोलता है क्या, इसी काम के लिए जनता ने आपको बैठाया है क्या।

यहां के आईएएस अफसर कहते हैं कि अगर डीएम बनना है तो 70 लाख रुपए जमा कराना होता है।

जिन्होंने देश को लूटा और जिन्होंने प्रदेश को लूटा अगर दोनों मिल जाए तो आगे क्या होगा इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं।

दो कुनबों का कारोबार देखिए, यह गठबंधन ऐसे ही नहीं हुआ है, दोनों में एक ही तरह के गुण, अवगुण हैं, इसीलिए आसानी से दोनों साथ आए हैं।

सरकार गांव ,गरीब, किसान, दलित, शोषित, पीड़ित, माताओं के लिए, युवाओं के भविष्य के लिए होती है।

चाचा-भतीजा, पूरब-पश्चिम, जात-पात के लिए सरकार नहीं होती है।

हमारा मंत्र है विकास, सरकारें विकास के लिए बननी चाहिए
अखिलेश जी का काम की नहीं कारनामों की आदत है।
दो साल हो गए आज मुझे एक भी मुख्यमंत्री की यूरिया मांगने वाली चिट्ठी नहीं आती है।

जब मैं सरकार में आया तो देशभर से मुझे यूरिया के लिए हर मुख्यमंत्री पत्र लिखता था।
हमें एक मौका दीजिए छह महीने के भीतर उनको जेल की सलाखों के पीछे ना डाल दूं तो आप मुझे कहना
जेलों से गैंग चल रहे हैं, यह काम है कि कारनामा
मैं यहीं से लखनऊ जाने को तैयार हूं, हम दोनों लखनऊ के मेट्रो स्टेशन पर जाएं टिकट खरीदे और सफर कर के आए
हड़बड़ी में तीसरा घोषणा पत्र निकालना पड़ा।
पहले चरण का मतदान साफ कर चुका है कि कितने भी गठबंधन कर लो आपका पाप धुलने वाला नहीं है।
अखिलेश जी खतरे की घंटी उसी वक्त बज गई थी जब 2014 में जनता ने आपका सफाया कर दिया था।
Source: hindi.oneindia.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *