गांव प्रवास से योगी का संदेश
गांवों की तरक्की के लिए सभी राजनीतिक दल भाषण देते रहते हैं। आंकड़ों में बताया जाता है कि इतने गांवों का विकास हो गया है। केन्द्र से लेकर राज्य सरकार तक की दर्जनों योजनाएं गांवों का कितना भला कर सकी हैं, इस सच्चाई को भी स्थानीय प्रतिनिधि समझते हैं लेकिन वे भी सच्चाई बताने से गुरेज करते हैं और वाहवाही लूटने के लिए कह देते हैं कि मेरे क्षेत्र में इतने गांव विकसित हो चुके हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए यह संभव भी नहीं है कि वे सभी गांवों का दौरा कर सकें लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अमरोहा जिले के सैदन गली और मेंहदी ग्राम में प्रवास किया और वहां की अनुसूचित जाति की ग्राम प्रधान प्रियंका के घर भोजन किया। मुख्य मंत्री के किसी दलित के घर भोजन करने पर राजनीतिक बयानबाजी भी हुई, इसका मजाक उड़ाया गया और राहुल गांधी के हरिजनों के यहां खाना खाने की कहानियां दुहराई गयीं। श्री योगी के इस प्रवास को इस राजनीति से अलग हटकर देखें तो इसके कई संदेश जाते हैं और सरकार इस प्रकार के प्रयास करती रही तो केन्द्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाएं ग्रामीण क्षेत्र तक भौतिक रूप से पहुंचेंगी।
मुख्यमंत्री का गांव में पहुंचना और रूकना वहां के लोगों को यह विश्वास दिलाने के लिए पर्याप्त होता है कि सरकार को उनकी चिंता है और वे अपनी समस्या स्थानीय अधिकारियों से कहेंगे और इसके बाद भी यदि उनकी बात नहीं सुनी जाती तो वे मुख्यमंत्री तक शिकायत भी कर सकेंगे। लोगों में उत्साह और अपनत्व का उदाहरण इससे बड़ा क्या हो सकता है कि अनुसूचित जाति की ग्राम प्रधान प्रियंका ने अपने पति के साथ मिलकर दाल, चावल और रोटी-सब्जी बनायी, थाल परोसा और अपने विशिष्ट मेहमान को भोजन कराया। सैदनगली मुस्लिम बहुल गांव है जबकि मेंहदीपुर में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या अधिक है। सैदनगली के सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कालेज में उनके रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गयी थी। वहीं पर थोड़ी देर रूकने के बाद मुख्यमंत्री राधा स्वामी सत्संग भवन के परिसर में पहुंचे। यहां पर मुख्यमंत्री ने चौपाल लगायी जहां हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। आस पास के कई गांवों से लोग वहां आये थे। मुख्यमंत्री ने चौपाल में जब पूछा कि कितने लोग स्वयं सेवी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं तो सिर्फ तीन महिलाएं खड़ी हुईं। मुख्यमंत्री ने पूछा कि उन्हें योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं, इस पर कुछ ने हाथ उठाकर हामी भरी तो कुछ ने लाभ से वंचित रहने की जानकारी भी दीं। मुख्यमंत्री ने यह नहीं पूछा कि केन्द्र और राज्य सरकार की कौन-कौन सी योजनाएं गांवों के लिए चल रही हैं। यदि यह सवाल पूछते तो संभवतः कुछ अधिकारी भी पूरी जानकारी न दे पाते।
मुख्यमंत्री श्री योगी का उद्देश्य अधिकारियों को प्रताड़ित करने का नहीं था बल्कि ग्रामीण जनता को योजनाओं का लाभ दिलाने का है। इसलिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को मंच पर बुलाया और निर्देश दिया कि एक सप्ताह के अंदर कैम्प लगाकर ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ दें। मुख्यमंत्री ने चौपाल में एकत्रित लोगों को स्वावलम्बन के लिए प्रेरित किया और कहा कि अपनी तरक्की के लिए खुद भी कदम बढ़ाने होंगे, केवल सरकार के सहारे बैठने से कुछ नहीं होगा। सैदनगली की चौपाल में श्री योगी ने सभी लोगों से संवाद किया, किसी से अकेले में बात नहीं की और जनता ने भी बिना किसी संकोच के अपनी बात कह दी। सरकार और जनता के बीच इस प्रकार का संवाद होना बहुत जरूरी होता है। कहने को तो गांव स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक जन प्रतिनिधि होते हैं। यही जन प्रतिनिधि सरकार भी बनाते हैं। मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री भी एक प्रतिनिधि ही हैं लेकिन जनता से सीधे संवाद नहीं हो पाता। बीच में बहुत बड़ी खाई होती है और इस खाई में बड़े-बड़े मगरमच्छ भी रहते हैं जिन्हें हम राजनीतिक दलाल कह सकते हैं। इन राजनीतिक दलालों के बारे में कहा जाता है कि जल में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं किया जा सकता। श्री योगी ने सैदनगली और मेहंदीपुर समेत कई गांवों के लोगों को यह संदेश दिया कि इन कथित मगरमच्छों से डरने की जरूरत नहीं है और नौकरशाही को भी उनकी पहली गलती माफ करते हुए कहा कि अब दूसरी गलती न करना। एक सप्ताह के अंदर कैम्प लगाकर ग्रामीणों को सभी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। अधिकारियों को पता है कि श्री योगी जो बात कहते हैं, उसे याद भी रखते हैं। हालांकि भाजपा नेतृत्व ने उन्हें कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी प्रचार का अहम दायित्व सौंप रखा है और अगले महीने की शुरूआत में ही श्री योगी कर्नाटक जाएंगे लेकिन एक सप्ताह में अधिकारियों ने क्या किया है इसकी रिपोर्ट भी वह निश्चित रूप से तलब करेंगे।
श्री योगी ने कहाकि प्रदेश के किसानों के बिजली सरचार्ज माफ करने की घोषणा हो चुकी है। ओटीएस अर्थात एकमुश्त समाधान योजना भी शुरू हो गयी है। इसके अलावा किसानों को फल, सब्जी की खेती, पशुपालन मत्स्य पालन जैसी कृषि की सहायक योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत शौचालय निर्माण, वृद्धावस्था पेंशन, निराश्रित महिला पेंशन और सौभाग्य योजना व उज्ज्वला योजना का लाभ जिन जरूरत मंदों को अब तक नहीं मिला है, उन्हें इन योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। लगभग सवा घंटे तक चली चौपाल में कुछ लोगों ने सरकारी योजनाओं का लाभ पाने में आनेवाली कठिनाइयों का खुलकर बखान किया। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह से भ्रष्टाचार हो रहा है। नौकरशाही की बाड़ तोडकर मुख्यमंत्री ने उनकी बात सुनी और दृढ़शब्दो में भरोसा दिलाया कि जनता की अनदेखी करने वालों की खैर नहीं होगी।