आईआईटी रुड़की में वर्ल्ड स्पेस वीक 2020 का समापन
रुड़की, । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रुड़की ने एक सप्ताह तक चलने वाले वेबिनार के माध्यम से वर्ल्ड स्पेस वीक 2020 मनाया, जिसमेंकई विशिष्ट वक्ताओं ने भाग लिया। इस दौरान विभिन्न सत्रों के माध्यम से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कामकाज पर एकरणनीतिक दृष्टिकोण साझा किया गया। आयोजन का उद्देश्य मानव जीवन की प्रगति में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के योगदान को याद करना था। आईआईटी रुड़की केनिदेशक प्रो अजीत के चतुर्वेदी ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया।”अंतरिक्ष तकनीक हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, शिक्षा से लेकर आपदा प्रबंधन तक में इसकी प्रमुख भूमिका रही है। इसरो अब हमारे राष्ट्रीयगौरव का प्रतीक है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि रखने वाले देश के युवाओं का ध्यान एक बेहतर करियर विकल्प के रूप में आकर्षित करता है। मुझे खुशी है किइसरो के प्रख्यात इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने आईआईटी रुड़की को वर्ल्ड स्पेस वीक मनाने में मदद की। हम विशेष रूप से इसरो के डॉ भानु पंत, श्री काली शंकर, डॉराजश्री विनोद बोथले और डॉ डी राम रजक को पूरे सप्ताह ज्ञानवर्धक व्याख्यान देने के लिए धन्यवाद देना चाहेंगे, ”प्रो अजीत के चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की, नेकहा।पहला वेबिनार ‘स्पेस मटीरियल’ शीर्षक पर केन्द्रित था, जिसमें प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ भानु पंत, समूह निदेशक, मटीरियल एवं मेटलर्जी ग्रुप, इसरो, ने विभिन्न मटीरियलतथा अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उनके उपयोग के औचित्य के बारे में दर्शकों को बताया। डॉ पंत 1982 में इसरो से जुड़े और वर्तमान में इसरो में धातु / चीनी मिट्टी / चीनीमिट्टी-मिश्रित मटीरियल से संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को लेकर एक खास ग्रुप को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। साथ ही इसरो के सभी कार्यक्रमों केविकास प्रक्रिया पर भी नजर रख रहे हैं।आईआईटी रुड़की के पूर्व छात्र और अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), इसरो के पूर्व वैज्ञानिक श्री काली शंकर की अध्यक्षता में ‘भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी पर आधारितदिलचस्प तथ्य’ शीर्षक पर आधारित दूसरा वेबिनार हुआ। इसमें इसरो से संबंधित दिलचस्प तथ्यों और आंकड़ों पर प्रकाश डाला गया।रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन पर आधारित दो सत्रों के दौरान डॉ राजश्री विनोद बोथले, ग्रुप डायरेक्टर, ट्रेनिंग, एजुकेशन एंड आउटरीच ग्रुप, एनआरएससी और डॉ डी रामरजक, साइंटिस्ट / इंजीनियर-एसजी, क्रायोस्फीयर साइंसेज डिवीजन, जीएचसीएजी / ईपीएसए, स्पेस एप्लीकेशन केंद्र (एसएसी), इसरो, वक्ता के रूप में मौजूद रहे। डॉराजश्री ने सरकारी प्रतिनियुक्ति पर मॉरीशस सरकार के साथ रिमोट सेंसिंग पर आईटीईसी विशेषज्ञ के रूप में और सरकार के जीआईएस के रूप में भी काम किया। डॉरजक का प्रमुख शोध क्षेत्र क्रायोस्फेरिक अध्ययन है। उन्होंने 33 वें भारतीय अंटार्कटिका (2013-14) अभियान, आर्कटिक अभियान (मार्च-अप्रैल 2019), और दो हिमालयअभियानों खारदुंग-ला (2016) और चिपा (2019) ग्लेशियर में भाग लिया है। इन सत्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी के योगदान पर प्रकाश डाला। समापनसत्र का शीर्षक ‘सैटेलाइट लॉन्चर्स एंड पेलोड्स ’था। इसमें प्रमुख वक्ता श्री विजय कुमार थे, जिन्होंने सैटेलाइट पेलोड परियोजना के प्रगति की निगरानी के साथ-साथसंचार उपग्रह पेलोड्स के विकास पर एसएसी, इसरो के ग्रुप प्रमुख के रूप में काम किया। “भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में प्रमुख देशों में शामिल है। एक जिम्मेदार संगठन के रूप में, इसरो नवाचार को बढ़ावा देने के साथ ही अपनी अनूठी परियोजनाओं औरसहयोग के माध्यम से भारत के आर्थिक विकास को गति प्रदान करने को लेकर प्रतिबद्ध है, ।