चैकुनी के ग्रामीणों ने रविवार को दूध बहाकर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया
उत्तराखण्ड। माइक्रो कंटेनमेंट जोन की पाबंदियों से तंग आकर चैकुनी गांव के लोगों ने दूध बहाकर विरोध दर्ज कराया। ग्रामीण का कहना है कि प्रशासन की ओर से गांव में आवाजाही पूरी तरह बंद किए जाने से ग्रामीणों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि दुग्ध संघ ने दूध की खरीद पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। मुख्यालय से लगे चैकुनी के ग्रामीणों ने रविवार को दूध बहाकर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। कहना था कि गांव के 50 से अधिक परिवारों की आय का मुख्य स्रोत दुग्ध व्यवसाय है। कोरोना पॉजिटिव मामले आने के बाद प्रशासन ने गांव को माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया था। बीते 12 दिन से गांव के लोग बाहर नहीं निकल पाए हैं। यहां तक कि प्रशासन ने दूध बिक्री पर भी रोक लगा दी है। दुग्ध संघ ने भी समिति में दूध लेने से इनकार कर दिया है। रोजाना लोगों को तीन से चार सौ लीटर दूध बर्बाद हो रहा है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। पूर्व प्रधान महेश महर और मनीष महर का कहना है कि गांव में करीब 50 परिवारों का जीवन यापन दुग्ध व्यवसाय से होता है। ग्रामीणों की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी उन्हें दूध बेचने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने प्रशासन से ग्रामीणों को मुआवजा दिए जाने और जल्द प्रतिबंध हटाने की मांग की है। अनिल गर्ब्याल, एसडीएम चम्पावत का कहना है कि 16 अगस्त तक गांव को माइक्रो कंटेनमेंट जोन में रखा गया है। नियमानुसार इस दौरान लोगों का अन्य के साथ संपर्क न हो इसके लिए आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है। मामले को लेकर ग्रामीणों से वार्ता की जाएगी। राजेश मेहता, प्रबंधक दुग्ध संघ चम्पावत ने बताया कि प्रशासन के निर्देश पर दूध की खरीद बंद की हुई है। कोरोना संक्रमण न फैले इसके लिए लोगों से फिलहाल समिति में दूध नहीं लाने के लिए कहा गया है। प्रशासन के निर्देश मिलते ही दूध खरीद शुरू कर ली जाएगी।