इस स्कूल की क्लास में छतरी पकड़कर होती है पढ़ाई

नैनबाग, टिहरी  : हाथ में छतरी लेकर कभी ब्लैक बोर्ड तो कभी छत की ओर ताकते छात्र-छात्राओं को देखकर उत्तराखंड में सरकारी शिक्षा की असलियत का अहसास हो जाता है। टिहरी जिले के राजकीय हाईस्कूल भालकी मांडे के दो कमरे और बरामदे में बैठे 100 से ज्यादा बच्चों को बारिश के दिनों में ज्ञान से ज्यादा जान की फिक्र रहती है। विभाग मानो इससे अनजान है।

टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी दिनेश चंद्र गौड़ कहते हैं  कि यदि भवन में छात्रों को खतरा है तो तत्काल शिक्षाधिकारी को आदेश दिया जाएगा कि  कोई वैकल्पिक व्यवस्था करें। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जौनपुर के ब्लाक मुख्यालय थत्यूड़ से मात्र 32 किमी की दूरी पर है राजकीय हाईस्कूल भालकी मांडे। दो कमरे और एक बरामदे वाले इस विद्यालय के भवन का निर्माण वर्ष 2005 में हुआ। सितंबर 2016 को इसे हाईस्कूल में उच्चीकृत कर दिया गया।

वर्तमान में यहां कक्षा छह से कक्षा दस तक में 110 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, जबकि कार्यरत शिक्षकों की संख्या छह है। हालांकि, विद्यालय में मुख्य भवन से इतर एक अतिरिक्त कक्ष भी है, जो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है।

बीते वर्ष 20 सितंबर को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्राचार्य चेतन नौटियाल ने विद्यालय भवन का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने भवन को खतरनाक करार दिया। यही नहीं, क्षेत्र पंचायत थत्यूड़ की बैठक में भी विभागीय अधिकारियों के समक्ष कई बार इस मुद्दे को उठाया जा चुका है। लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकला।

क्षेत्र पंचायत सदस्य मनवीर सिंह नेगी व भालकी मांडे की ग्राम प्रधान सुमन नेगी ने बताया कि विद्यालय भवन की स्थिति से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी अवगत कराया गया, लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों है।

उत्तराखंड के सात सौ ज्यादा विद्यालयों के भवन जर्जर बने हुए हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे कह चुके हैं कि जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए सरकार जल्द कदम उठाने जा रही है। खैर, सरकारी कार्य प्रणाली से सभी परिचित हैं।

मंडराता है हमेशा खतरा 

राजकीय हाईस्कूल भालकी मांडे के प्रधानाचार्य मदन सिंह पुंडीर के मुताबिक विद्यालय भवन जीर्ण-शीर्ण में है। छत टपकने के कारण कमरों में पानी भर जाने से वहां बैठ पाना संभव नहीं। इससे नौनिहालों के सिर पर हर वक्त खतरा मंडराता रहता है।

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