फ्यूंलानारायण मंदिर के कपाट 18 सितंबर को बंद किए जाएंगे

जोशीमठ । समुद्रतल से नौ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान फ्यूंलानारायण मंदिर के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 18 सितंबर को विधि-विधान पूर्वक मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। भगवान फ्यूंलानारायण मंदिर की विशेषता यह है कि यहां ठाकुर जाति के पुजारियों को ही पूजा का अधिकार है। भगवान का शृंगार महिलाएं करती हैं। हिमालय में उगने वाले विशेष प्रजाति के फूल फ्यूंला की वजह से इसे फ्यूंलानारायण कहा जाता है। यह मंदिर दक्षिण शैली में बना पौराणिक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान को दूध व मक्खन का भोग कपाट खुलने व बंद होने पर विशेष रूप से लगाया जाता है।कपाटबंदी के दौरान भेंटा, भर्की, ग्वाणा, अरोसी सहित उर्गम घाटी के गांवों के लोग यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। कपाटबंदी के क्रम में पहले दिन मंदिर के पुजारियों रघुवीर सिंह, अब्बल सिंह, आलम सिंह व मंगल सिंह ने भगवान की विशेष पूजाएं की।भगवान को पारंपरिक कौंणी व चीणा अनाज का भोग भी लगाया गया। 15 सितंबर को मंदिर में छंतोलियों का मिलन होगा और मां नंदा के जागर गाए जाएंगे। 16 सितंबर को भनाई जात मेले का आयोजन होगा और 18 सितंबर को कपाट बंद किए जाएंगे।

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