UP विधानसभा चुनाव: टिकट घोषित होने बाद BJP कार्यकर्ताओं में गुस्सा, कहा- इस बार पार्टी को ही हराएंगे

बस्ती। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 304 सीटों की सूची जारी कर दी है। प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद से ही असंतोष का माहौल है। बात अगर पूर्वांचल के बस्ती मंडल की करें तो यहां हालात ये हो गए हैं कि लोग अपना गम और गुस्सा सोशल मीडिया पर जाहिर कर रहे हैं। भाजपा की ओर से जारी की गई दूसरी सूची जारी करने के बाद बस्ती जिले की 5 विधानसभा सीटों पर स्थिति स्पष्ट हुई। यहां की सदर विधानसभा सीट से पार्टी ने दयाराम चौधरी, कप्तानगंज सीट से चंद्र प्रकाश ‘सी.पी.’ शुक्ला, रुधौली से संजय जायसवाल , महादेवा से रवि सोनकर और हर्रैया से अजय सिंह को टिकट दिया है। कार्यकर्ताओं में इस बात का रोष है कि पार्टी ने समर्पित लोगों को दरकिनार कर बाहरियों को मौका दिया है।

इतना ही नहीं भाजपा की बस्ती इकाई के सूत्रों ने दावा किया कि यहां एक गुप्त बैठक में फैसला लिया गया है कि पार्टी कार्यकर्ता पांचों विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को हारने के लिए दृढ़ संकल्प लिया गया है। सूत्र ने दावा किया है कि इस बैठक में पूर्व जिलाध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और तमाम कार्यकर्ता शामिल हैं। पार्टी सूत्र ने दावा किया कि कार्यकर्ताओं को दो सीटों पर कोई शिकायत नहीं है। जिसमें बस्ती सदर और रुधौली की सीट शामिल है। कहा कि बस्ती सदर से दयाराम और रुधौली से संजय को टिकट दिए जाने पर कार्यकर्ताओं ने नाराजगी इसलिए नहीं है क्योंकि दयाराम लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में है। साथ ही संजय ने राज्यसभा के चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशी को वोट दिया था। संजय को टिकट दिए जाने पर एक अन्य उम्मीदवार सत्येंद्र शुक्ला जिप्पी अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर जाहिर कर रहे हैं। अपनी एक फेसबुक पोस्ट में जिप्पी ने लिखा है कि ‘टिकट वितरण के बाद भाजपा कार्यकर्ताओ का नया नारा ,अबकी बार 47 पार’।

वनइंडिया से बातचीत के दौरान जिप्पी ने कहा कि पार्टी ने अपने ही संविधान का उल्लंघन कर लोगों को टिकट दिया है। कहा कि बस्ती की 5 विधानसभा सीटों पर मूल भाजपा कार्यकर्ता चुनाव लड़ेगा और जीतेगा भी। रूधौली से प्रत्याशी घोषित किए गए संजय ने केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि वो जनता की उम्मीदों पर तो खरे उतरे ही हैं, भाजपा की उम्मीदों पर भी खरे उतरेंगे। दूसरी ओर सूत्र का दावा है कि स्थानीय सांसद हरीश द्विवेदी की वजह से कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं मिल सका। कहा कि सांसद ने पीठ में छुरा भोंका है। सूत्र ने यह दावा भी किया कि इस चुनाव में भाजपा 100-125 सीटों से ज्यादा नहीं जीतेगी। वहीं दूसरे पक्ष कहा कहना है कि सांसद का टिकट दिलाने में कोई रोल ही नहीं था। पार्टी का उद्देश्य है कि इस बार सरकार बने। दावा किया कि जो लोग नाराज हैं, उन्हें मना लिया जाएगा और कई लोग तो मान भी चुके हैं। कहा कि प्रदेश में इस बार हमारी सरकार बनेगी, जिसका लाभ सभी कार्यकर्ताओं को होगा। वहीं सांसद हरीश द्विवेदी ने खुद पर लगाए आरोपों को नकारते हुए कहा कि मुझसे पार्टी ने 5-5 नाम मांगे थे, वो मैंने दे दिया था। जिनको भी टिकट मिला है, हम उनके लिए जान लगा देंगे। मंडल के संतकबीरनगर जिले की बात करें तो यहां की भी स्थिति गुस्से से भरपूर है। यहां की खलीलाबाद सीट से पार्टी ने दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे,धनघटा से श्री राम चौहान और मेंहदावल से राकेश बघेल को टिकट दिया है। टिकट ना मिलने से नाराज खलीलाबाद सीट से दावेदार रहे गंगा सिंह सैंथवार ने कहा पार्टी सर्वे के आधार पर टिकट देने की बात कर रही थी, लेकिन ऐस नहीं हुआ। यहां चुनाव आयोग के आदेशों को ताक पर रखते हुए सांसद शरद त्रिपाठी का पुतला जलाया गया। कहा कि पार्टी ने बाहरी को टिकट दे दिया और स्थानीय नेताओं से पूछा तक नहीं। सैंथवार ने निर्दल चुनाव लड़ने की बात भी कही। वहीं धनघटा सीट से संतोष चौहान टिकट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन पार्टी ने उनकी जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीराम चौहान को टिकट दिया। संतोष ने आरोप लगाया कि श्रीराम चौहान इलाके में रहते ही नहीं और उन्हें टिकट देना गलत है। उन्होंने निर्दल चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। हालांकि श्रीराम के करीबियों का कहना है कि आरोप निराधार है। पार्टी की ओर से घोषित किए गए उम्मीदवार का घर ही क्षेत्र में है। रही बात इलाके में ना रहने की तो उन्हें संगठन से भी जुड़े काम करने होते हैं, जिसके चलते कई बार वो क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाते लेकिन स्थानीय कार्यकर्ता उनके साथ है। संतकबीरनगर में कार्यकर्ताओं का कहना है कि टिकट वितरण के मामले में सांसद शरद त्रिपाठी की भूमिका नहीं है।

बात मंडल के सिद्धार्थनगर जिले की करें तो यहां कि इटवा सीट से सतीश द्विवेदी, डुमरियागंज से राघवेंद्र प्रताप, कपिलवस्तु (सुरक्षित) सीट से श्यामधनी और बांसी से जय प्रकाश सिंह को टिकट दिया गया है। यहां भी इटवा सीट से टिकट के दावेदार हरिशंकर सिंह को टिकट ना दिए जाने के विरोध में 100 से ज्यादा लोगों ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। संभावना है कि हरिशंकर, निर्दल चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं मंडल के तमाम चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं का गुस्सा थोड़े दिनों का है। अगर भाजपा की सरकार आई तो सभी कहीं ना कहीं सेट कर दिए जाएंगे। चुनाव की तारीख के करीब आने तक मंडल में भाजपा की आंतरिक सही हो सकती है। बता दें कि इस बार के चुनाव में भाजपा ने अपने लोगों पर कम यकीन करते हुए बाहरियों को ज्यादा टिकट दिया है। जिसके चलते कार्यकर्ता गुस्से में हैं।

Source: hindi.oneindia.com

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