त्रिवेन्द्र करेंगे दायित्वों का बॅटवारा

70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 57 विधायक हैं। इनमें से 10 मंत्रिमंडल का हिस्सा

देहरादून। सवा साल से सत्ता में हिस्सेदारी हासिल होने की उम्मीद पाले भाजपा विधायकों को फिलहाल मायूस होना पड़ सकता है। सरकार बहुत जल्द दायित्वों का बॅटवारा तो करने जा रही है मगर इनमें किसी विधायक को शायद मौका नहीं मिल पाएगा। पहले चरण में संगठन से जुड़े वरिष्ठ नेताओं का ही नंबर लगेगा। शासन ने विभिन्न विभागों के अंतर्गत आने वाले दायित्वों के पदों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि दायित्वों की पहली सूची जल्द जारी कर दी जाएगी।उत्तराखंड में पहली निर्वाचित सरकार के समय से ही खासी बड़ी संख्या में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को लालबत्ती (दायित्व) से नवाजा जाता रहा है। कांग्रेस की तिवारी सरकार के समय इस तरह की लालबत्तियों का आंकड़ा सौ से ज्यादा पहुंच गया था। हालांकि इसके बाद आई सरकारों के समय भी किसी पार्टी ने अपने लोगों को सत्ता सुख देने के मामले में कटौती नहीं की। दरअसल, लालबत्ती या दायित्व का मतलब वे सरकारी पद हैं, जिन्हें कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा हासिल होता है। इनमें विभिन्न आयोग, बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद शामिल हैं।
लगभग सोलह महीने पहले सत्ता में आई भाजपा के लिए दायित्व वितरण इस बार इसलिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसकी कतार में लगभग 40 विधायक भी शामिल हैं। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 57 विधायक हैं। इनमें से 10 मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं, जबकि दो विधायक विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं। हालांकि मंत्रिमंडल में अभी दो स्थान रिक्त हैं लेकिन अधिकांश भाजपा विधायकों की नजरें मंत्री पद के समकक्ष दायित्वों पर ही टिकी हैं। इनमें से कई तो पूर्व मंत्री हैं और दो या ज्यादा बार के विधायक भी खासी संख्या में हैं।
दायित्वों के दावेदार के रूप में विधायकों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उनसे साफ हो गया है कि इनका इंतजार फिलहाल खत्म होने नहीं जा रहा है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में लगभग डेढ़ दर्जन दायित्व बांटे जाएंगे और इनमें अधिकांश संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हैं। तर्क यह दिया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में जिन वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं मिल पाया था, उन्हें अब पहले दायित्वों का लाभ दिया जाए। इस स्थिति में भाजपा विधायकों को फिलहाल मायूसी ही हाथ लग सकती है।

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