ईरान के रास्ते मध्य एशिया के लिए सामानों की ढुलाई जनवरी से

नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय माल ढुलाई पर संयुक्त राष्ट्र की संधि में शामिल होने के बाद भारत ईरान से होकर रूस या तुर्की को अपने माल की पहली खेप 15 जनवरी को भेजेगा, जिससे परिवहन लागत और समय आधा से भी कम हो जाएगा. केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के आयुक्त संदीप कुमार ने यहां मंगलवार को मीडिया को बताया, ‘उद्योग को इससे बहुत उम्मीदें हैं, विशेषकर रूस और मध्य एशिया के लिए किए जाने वाले भारतीय निर्यात में बड़ा बदलाव होने वाला है.’

उन्होंने कहा कि इस कदम से अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के परिचालन में भी मदद मिलेगी, जो सालों से ठंडे बस्ते में है. भारत ने ट्रांसपोर्ट इंटरनेशनक्स रोटियर्स (टीआईआर) संधि पर इस साल 15 जून को हस्ताक्षर किया है. यह सामानों की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के आरपार आवाजाही के लिए बनाई गई वैश्विक सीमा शुल्क पारगमन प्रणाली है. यह संधि भारत के लिए इस पर हस्ताक्षर करने के छह माह बाद 16 दिसंबर से प्रभावी होगी.

सीबीईसी के आयुक्त (कस्टम्स और एक्सपोर्ट प्रमोशन) ने कहा, ’15 या 16 जनवरी को कुछ व्यापारिक मध्यस्थों और लॉजिस्टिक्स भागीदार की मदद से हम इस संधि का इस्तेमाल कर ईरान होते हुए रूस या तुर्की को माल भेजने में सक्षम होंगे.’ कुमार ने कहा कि इस रास्ते का प्रयोग करने से परिवहन की लागत और समय में करीब 50 फीसदी की बचत होगी.

टीआईआर के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार करनेवाले सामानों पर किसी प्रकार का शुल्क या गारंटी नहीं वसूला जाता है तथा सीमा शुल्क जांच प्रस्थान स्थल और गंतव्य स्थल पर ही किया जाता है. यह समझौता यह भी सुनिश्चित करेगा कि भरोसेमंद प्रशासन एक-दूसरे के नियंत्रण प्रणालियों को स्वीकार करेंगे, ताकि उन्हें माल की बार-बार जांच न करनी पड़े.

फिक्की के महासचिव संजय बारू ने उम्मीद जताई है कि इस संधि से न केवल भारत के पश्चिम मोर्चे पर व्यापार संबंधों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पूर्वी मोर्चे पर भी बांग्लादेश और अन्य देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. फिक्की को सीबीईसी द्वारा भारत में टीआईआर प्रणाली के संचालन के लिए गारंटिंग एसोसिएशन के रूप में नियुक्त किया गया है.

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