क्या आप जानते हैं कैसे हुआ चंद्रमा का जन्म?

लखनऊ। पृथ्वी के सबसे नजदीक रहने वाले चन्द्रमा में गजब का आकर्षण होता है। चन्द्रमा का पृथ्वी पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए हिन्दू धर्म में होने वाले अधिकतर त्यौहार पूर्णिमा को मनायें जाते है। चॅूकि पूर्णिमा में चन्द्रमा 180 अंश पर होता है जिसकी सीधे किरणें पृथ्वी पर पड़ती है। चन्द्रमा को ज्योतिष व वेदों में मन का कारक कहा गया है। साहित्य में इसे सोम कहा गया है।

चन्द्रमा का हमारे जीवन में खास महत्व है पर क्या आप जानते चन्द्रमा का जन्म कैसे हुआ ?

अग्नि पुराण के अनुसार-ब्रहमा जी ने जब सृष्टि की रचना करने का मन बनाया तो सबसे पहले मानसिक संकल्प के द्वारा मानस पुत्रों को उत्पन्न किया। उनमें से एक मानस पुत्र ऋषि अत्रि का विवाह ऋषि कर्दम की कन्या अनुसुइया से हुआ जिससे दुर्वासा, दत्तात्रेय व सोम नाम के तीन पुत्र उत्पन्न हुये। सोम को भी चन्द्रमा कहा जाता है।

पद्म पुराण में चन्द्रमा के जन्म का वर्णन

पद्म पुराण में चन्द्रमा के जन्म का विस्तृत वृतान्त वर्णित है। ब्रहमा ने अपने मानस पुत्र ऋषि अत्रि को सृष्टि का विस्तार करने की आज्ञा दी। अत्रि ने अनुत्तर नाम का तप आरम्भ किया। काफी वर्ष व्यतीत होने के पश्चात एक दिन तप करते समय ऋषि अत्रि की ऑखों से प्रकाशमयी कुछ बॅूदे टपकी जो दिशाओं ने स्त्री रूप धारण करके ग्रहण कर लिया। जो उनके अन्दर गर्भ रूप में ठहर गई। किन्तु उस तेजवान गर्भ को दिशायें धारण न कर सकी और त्याग दिया। उस त्यागे हुये गर्भ को ब्रहमा ने अपना कर पालन-पोषण करके उसका नाम चन्द्रमा रखा। चन्द्रमा के दिव्य तेज से पृथ्वी पर औषधियॉ उत्पन्न हुई जिसके कारण ब्रहमा जी ने चन्द्र को नक्षत्र, वनस्पतियों, ब्राहमण व तप आदि का स्वामी नियुक्ति कर दिया।

स्कन्द पुराण

जब देवों और दैत्यों ने मिलकर क्षीर सागर का मंथन किया तो उसमें 14 प्रकार के रत्न निकले। उन्हीं 14 रत्नों में एक रत्न चन्द्रमा भी है। लोक कल्याण हेतु उसी मंथन से प्राप्त विष को भगवान शंकर को ग्रहण कर लिया और चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया। चन्द्रमा की उपस्थित समुद्र मंथन से पूर्व भी सिद्ध होती है। स्कन्द पुराण के ही महेश्वर खण्ड में ऋषि गर्गाचार्य ने समुद्र मंथन का मुहूर्त निकालते समय देवों से कहा था कि इस समय सभी ग्रह अनुकूल है। चन्द्रमा से बृहस्पति का शुभ योग बन रहा है जो कार्य सिद्ध के लिए उत्तम है। अतः यह सम्भव है कि चन्द्रमा का जन्म विभिन्न कालों में हुआ होगा। चन्द्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की नक्षत्र रूपी 27 कन्याओं से हुआ था। चन्द्रमा को रोहिणी अधिक प्रिय है क्योंकि चन्द्रमा अधिकतम समय रोहिणी नक्षत्र में रहता है। इन्हीं 27 नक्षत्रों के भोग से एक चन्द्र मास पूर्ण होता है।

इसे भी पढ़े : 2017 में होंगी अद्भुत खगोलीय घटनाएं, जानिए कब-कब?

Source: hindi.oneindia.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *