श्रमिकों को शहरों में वापस लाने के लिए जगाना होगा उनमें विश्वास

दिल्ली । कोरोना महामारी से पांच सेक्टरों के करीब 9.3 करोड़ शहरी वर्कर्स बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कोविड -19 महामारी और लॉकडाउन की मार मैन्यूफैक्चरिंग, निर्माण, व्यापार, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र पर अधिक पड़ी है। मंत्रियों के समूह की अध्यक्षता करने वाले श्रम मंत्री थावरचंद गहलोत ने यह जानकारी दी।सुझावों के साथ पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री कार्यालय को एक रिपोर्ट में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें श्रमिकों का एक डेटाबेस, अपने गांव लौटने वाले हर प्रवासी कामगार के लिए जॉब कार्ड और ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत निजी कारखाने या निर्माण स्थल में काम करने की अनुमति देना, नियोक्ता को मनरेगा मजदूरी घटक के ऊपर मजदूरी का भुगतान करना जैसे सुझाव दिए गए थे।प्रवासी श्रमिकों को शहरों में वापस लाने के लिए मंत्रियों के समूह ने जोर देते हुए कहा कि उनकी वापसी के लिए उनके मन में विश्वास जगाने के लिए कई उपाय किए जाने चाहिए।  ये उपाय उनके बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, आंगनवाड़ियों तक पहुंच, प्रशिक्षण और अपस्किलिंग के रूप में हो सकते हैं। सभी प्रवासी श्रमिकों को आयुष्मान भारत या राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में ऑटोमटिक शामिल कर लेना चाहिए।मंत्रियों के समूह ने यह भी बताया कि संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी अपनी नौकरी खोने का खतरा था। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की घोषणा में बताया गया है कि सप्ताह के अंत में 11.4 करोड़ नौकरियां खो गई हैं और बेरोजगारी 27.1% की रिकॉर्ड ऊंचाई पर है ।

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