पोस्टल बैलेट से हार-जीत में होगी पोस्टल बैलेट की महत्वपूर्ण भूमिका

उत्तराखण्ड में 90 हजार से अधिक सर्विस वोटर्स
देहरादून, । उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों के लिए 11 अप्रैल को होने जा रहे मतदान में पोस्टल बैलेट्स मतों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। खासकर तब जब इनकी संख्या नब्बे हजार के पार हो। बता दें कि पोस्टल-बैलेट्स मतदाताओं में सेना से लेकर पैरामिलिट्री फोर्सेज जैसी सेवाओं में तैनात मतदाता आते हैं। उत्तराखंड में ऐसे सर्विस मतदाताओं की संख्या नब्बे हजार से अधिक है। अकेले पौड़ी संसदीय सीट पर इनकी संख्या 37 हजार के आस-पास है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों को कहना है कि पोस्टल बैलेट्स कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकते हैं तो भाजपा के लिए उत्साह का कारण। ट्रेंड बताता है कि अब तक हुए लोकसभा चुनावों में पोस्टल बैलेट्स में भाजपा का ग्राफ ऊंचा रहा है। वर्ष 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों के पोस्टल बैलेट्स से मतदान कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के पक्ष में काफी अधिक हुआ है।
खास बात यह भी रही कि 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में भाजपा एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई थी लेकिन तब भी पोस्टल बैलेट्स मतों में भाजपा सभी सीटों पर अव्वल थी। वर्ष 2008 में पौड़ी संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में तो भाजपा प्रत्याशी पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल टीपीएस रावत की जीत ही पोस्टल बैलेट मतों से सुनिश्चित हुई थी। वर्ष
2009 के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा को पांचों सीटों पर 11 हजार, 46 पोस्टल बैलेट्स मत मिले वहीं कांग्रेस को महज एक हजार 831 वोट ही मिल पाए। वर्ष 2014 में भी यही ट्रेंड देखने को मिला।

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