सुनील उनियाल गामा दून के सभी वर्गो  के मध्य रचे बसे

देहरादून । खामोश मतदाता 18 नवम्बर को इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ई. बी. एम में बटन दबाकर अपनी खामोशी तोड़ेगा, इनके चुनाव परिणाम बतायेगें, 2019 में उत्तराखण्ड के लिए लोक सभा चुनावों की डगर क्या होगी ? निकाय चुनावो में किसी भी दल की लहर नहीं है।लगता है, इन निकाय चुनावों में वो चाहे महापौर का पद हो या पार्षद, मतदाता बेदाग छवि के प्रत्याशियों को अपना मत देने जा रहे हैं। उत्तराखण्ड में इस बार भाजपा- कांग्रेस के मुकाबले, निर्दलीय प्रत्याशी काफी मात्रा में बाजी मारेंगे, राजनैतिक गलियारों में ऐसी चर्चा हो रही है।नगर निगम दून की अलग ही अपनी रंगत है, जहां से दून नगर निगम के मेयर पद के लिए भाजपा ने सुनिल उनियाल गामा को अपना प्रत्याशी बनाया है। सुनिल उनियाल गामा गांव के एक गरीब घर में जन्में भाजपा के कर्मठ, बेदाग, जमीनी नेता और दून शहर में मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के ‘‘हनुमान‘‘ कहे जाते हैं, सुनील उनियाल गामा की व्यक्तिगत पकड़ दून के सभी वर्गो पिछड़े लोगों के मध्य है उन्हें देहरादून में बसे प्रदेशों के कई सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं के मतदाताओं का भी सहयोग मिलता दिखाई दे रहा है। अपने सरल और समाज के लिए समर्पित व्यक्तित्व के कारण भाजपा उनकी सफलता के बारे में सुनिश्चित है।देहरादून को  जहां प्रधानमन्त्री मोदी का आर्शीवाद प्राप्त है, वहीं प्रदेश के मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कार्यकाल में जो जीरो टोलरेन्स प्रशासनिक व्यवस्था और देहरादून के सभी विधानसभा क्षेत्रों में समान विकास के जो कार्य हो रहे हैं, उनके दृष्टिगत दून के निकाय चुनाव में मेयर और पार्षदों को भारी समर्थन मिलने जा रहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस और कांग्रेस के कार्यकर्ता मतदाताओं के मध्य खामोशी को देखकर यह कह रहे है- ‘‘ये मतदाता भी बड़ी चीज है‘‘ उनकी यह खामोशी बता रही है कि इस बार मतदाता बदलाव के मूड में है, कांग्रेस अल्पसंख्यकों के मतो पर अपना भरोसा समझते हुए अपनी जीत के लिए पूरे शहर में जन सर्म्पक कर रही है।राज्य के राजनैतिक दल इन निकाय चुनाव में भले ही अपने प्रत्याशियों को अपने दल के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़वा रहे है लेकिन मतदाता राजनैतिक दलो से हटकर वह चाहे निर्दलीय हो या दल के प्रत्याशी, उसकी व्यक्तिगत छवि पर ही अपना वोट देने जा रहा है। इन चुनावों में भाजपा प्रत्याशी मोदी के लहर पर ही अपनी वैतरणी पार कर रहे हैं लेकिन राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों में वही मेयर, पालिका, पंचायत और पार्षद प्रत्याशी सफल होगा, जिनकी बेदाग छवि, योग्यता और निष्काम भाव से अपने शहर और वार्ड की प्रदूषण, सीवरेज, यातायात, पेयजल, विद्युत और नगरीय सुविधाओं को हल करने, शहर, गलियों और सड़कों को स्वच्छ और अवैध रूप से कब्जा करने वाले दंबगों से जूझने और बहुजन हिताय कार्य करने की क्षमता से मतदाता वाकिफ हो।भाजपा क्षेत्रों का मानना है, चुनाव त्रिकोणीय नहीं, आखिर में उनका मुकाबला कांग्रेस के साथ होना है। भाजपा नेतृत्व यह कहने से नहीं चूकता कि कांग्रेस को दून के मतदाता ही नहीं, उत्तराखण्ड और देश के मतदाता पहिले ही नकार चुके हैं, इसलिए निकाय चुनावों में सभी जगह भाजपा प्रत्याशियों को राज्य के मतदाताओं का आर्शीवाद मिलेगा और दून के मेयर पद पर दून के मतदाता समझते है कि अगर देहरादून को जाम से मुक्ति, स्वच्छ, निर्मल और केन्द्र की मद्द से स्मार्ट सिटी बनाना है तो भाजपा के प्रत्याशी सुनील उनियाल गामा की जीत को सुनिश्चित बनाना दून के मतदाताओं का भी अपना एक कर्तव्य है।

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