राजभवन ने वापस कर दीं विधानसभा सत्र बुलाने के लिए अशोक गहलोत की फाइलें
जयपुर। राजस्थान में बड़ा सियासी घटनाक्रम हुआ है। राजभवन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा राज्यपाल कालराज मिश्रा को विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए दिए गए प्रस्ताव को संसदीय कार्य विभाग को वापल लौटा दिया है। राभवन की तरफ से कुछ और जानकारी मांगी गई है। विधानसभा सत्र पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।आपको बता दें कि सचिन पायलट और 18 अन्य उनके समर्थक विधायकों के बागी होने के बाद राजस्थान कांग्रेस में अभी तक सियासी संकट बरकरार है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से फौरन विधानसभा सत्र बुलाने की मांग पर राज्यपाल की तरफ से मंजूरी नहीं मिलने के बाद एक तरफ जहां गहलोत ने धमकी देते हुए यहां तक कह दिया कि अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो लोग राजभवन का घेराव करने आ जाएंगे। वहीं कांग्रेस कह रही है कि राज्यपाल केन्द्र में ‘मालिक’ के इशारे पर काम कर रहे हैं।राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच कांग्रेस राजभवन पर धरना देकर विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग कर रही है, लेकिन यदि सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था को देखें तो यदि राज्य कैबिनेट सत्र बुलाने की सिफारिश करती है तो राज्यपाल के पास इसे मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता है। वह अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकते।सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह व्यवस्था अरुणाचल प्रदेश से संबंधित नबाम राबिया मामले में (जुलाई 2016 में) दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 174 की जांच कर व्यवस्था दी थी कि राज्यपाल सदन को बुला, प्रोरोग और भंग कर सकता है, लेकिन ये मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में की गई मंत्रीपरिषद की सिफारिश पर ही संभव है। राज्यपाल स्वयं ये काम नहीं कर सकते।