पीएम केपी ओली ने भंग की संसद
काठमांडू। नेपाल की राजनीति में बड़ा संकट खड़ा हो गया है। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर संसद को भंग कर दिया और अप्रैल-मई में मध्यावधि आम चुनाव की घोषणा की है। पार्टी के अंदर ही विरोध झेल रहे नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए संसद को भंग करने की सिफारिश की थी। उन्होंने रविवार सुबह जल्दबाजी में कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया। बाद में वह राष्ट्रपति से मिले और उन्हें मंत्रिमंडल की सिफारिश सौंप दी। तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद अब नेपाल में सियासी संग्राम छिड़ने के आसार बन गए हैं। सरकार में ऊर्जा मंत्री बारशमन पुन ने मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी दी। बैठक में निर्णय लेने के बाद प्रधानमंत्री सीधे राष्ट्रपति भवन पहुंचे और उन्होंने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को मंत्रिमंडल की सिफारिश सौंप दी। आमतौर पर ऐसे बड़े निर्णय पर प्रधानमंत्री पहले से ही राष्ट्रपति से विचार-विमर्श कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की सिफारिश को मंजूरी दे सकती हैं। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री ओली पर संवैधानिक परिषद एक्ट के एक अधिनियम को वापस लेने का दबाव था। इस अधिनियम को सरकार मंगलवार को लेकर आई थी। उसी दिन ्अधिनियम को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया था। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच काफी समय से शक्ति प्रदर्शन चल रहा है।