बेहतर भविष्य के लिए बच्चों में दूरगामी सोच को विकसित करने की जरूरत: सिसोदिया
नई दिल्ली । उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश के बेहतर भविष्य के लिए बच्चों में दूरगामी सोच को विकसित करने की जरूरत है। अतीत से भले ही हम प्रेरणा लें, लेकिन हमें अपनी सोच में भविष्य को उसका उचित स्थान देने की जरूरत है।
अमेरिका, जर्मनी व ब्रिटेन जैसे देश अपनी शिक्षा प्रणाली व धरोहर को संजोकर रखते हैं। सिसोदिया शुक्रवार को द्वारका सेक्टर-12 स्थित बाल भारती स्कूल में आयोजित भारतीय अंतरराष्ट्रीय आदर्श संयुक्त राष्ट्र के 108वें सम्मेलन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
युवा लहरा रहे सफलता का परचम
सिसोदिया ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में आज जो युवा सफलता का परचम लहरा रहे हैं, उनके कार्य इसी दूरगामी सोच का नतीजा है। इसमें फ्लिपकार्ट, ओयोरूम, गूगल, यू-ट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, माइक्रोसॉफ्ट व पेप्सी आदि जैसी कंपनियां इसी सोच का एक उदाहरण हैं।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज से ढाई दशक पूर्व हम ऑनलाइन शॉपिंग से जुड़ी वेबसाइट के बारे में सोच तक नहीं सकते थे। ओयो होटल रूम के बारे में कल्पना नहीं कर सकते थे, लेकिन युवाओं ने भविष्य के अनुरूप खुद को ढाला और लोगों के सामने ऐसे उदाहरण पेश किए कि आज जगह-जगह उनकी मिसाल दी जाती है।
दूरगामी सोच पर आधारित शिक्षण पद्धति की जरूरत
18 साल की उम्र में बच्चों को मतदान करने का अधिकार है और 21 साल की उम्र में चुनाव लड़ने का। ऐसे में आज हमें ऐसी शिक्षण पद्धति की जरूरत है जो दूरगामी सोच पर आधारित हो। सिसोदिया ने कहा कि अधिकांश बजट को शिक्षा प्रणाली व स्वास्थ्य व्यवस्था को अधिक से अधिक बेहतर बनाने की दिशा में कार्य किया जाए।
देशवासियों को बदलाव की जरूरत
सिसोदिया ने कहा शिक्षा एकमात्र हथियार है जिसके कारण आज हमारा देश इन सबसे ऊपर उठ चुका है। हमारे देशवासियों को बदलाव की जरूरत है और इस बदलाव की शुरुआत स्कूल, घर व अपने समाज के स्तर पर युवाओं के जरिये की जा सकती है।