आज रिहा होंगे तलवार दंपती, डासना जेल अधीक्षक ने किया ये सनसनीखेज खुलासा
गाजियाबाद । अपनी ही बेटी आरुषि की हत्या के जुर्म में सजा काट रहे तलवार दंपती को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि संदेह के आधार पर किसी को मुजरिम नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने सीबीआइ को फटकार लगाते हुए तलवार दंपती को रिहा करने का आदेश दिया। इस राहत के बाद आज उनकी गाजियाबाद के डासना जेल से रिहाई होगी। लेकिन इस दौरान डासना जेल के अधीक्षक डॉ. वीरेश राज ने तलवार दंपती के बारे में जो बताया सनसनीखेज, रोचक और दिलचस्प है।
डासना जेल के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. वीरेश राज ने दैनिक जागरण से अपने सनसनीखेल खुलासे में बताया कि तलवार दंपती जेल से रिहा होने के बाद बच्चों के लिए आरुषि का संग्रहालय खोलना चाहते थे। इस बात का जिक्र उन्होंने तत्कालीन जेल प्रशासन से भी किया था।
वीरेश राज के मुताबिक, इस संग्रहालय के माध्यम से वह आरुषि को हमेशा जिंदा रखना चाहते हैं। संग्रहालय में आरुषि के खिलौने, कपड़े, किताब, फोटो व अन्य सामान रखा जाना था।
शुरुआती दिनों में जेल में रोते थे आरुषि के माता-पिता
डासना जेल के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. वीरेश राज ने बताया कि उनके डासना जेल में करीब चार साल के कार्यकाल के दौरान तलवार दंपती पौने तीन साल बंद रहे। उम्रकैद के बाद शुरुआती दिनों में डॉ. राजेश तलवार व डॉ. नूपुर तलवार बहुत रोते थे।
हम अपनी ही बेटी को कैसे मार सकते हैं
‘हम तो किसी को नहीं मार सकते, अपनी बेटी को कैसे मार सकते हैं’ हत्याकांड के बाद आरुषि पर लिखी गई किताब ‘आरुषि’ में इन पंक्तियों का जिक्र किया गया है। इस किताब में यह लाइन आरुषि की मां डॉ. नूपुर तलवार ने लिखी थी। किताब लिखते समय इन लाइनों को सबसे पहले डासना जेल के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा ने पढ़ा था।
वीरेश राज शर्मा के मुताबिक, कुछ दिनों बाद ही राजेश और नूपुर बंदियों की सेवा में लग गए। तलवार दंपती ने 15 लाख रुपये खर्च कर जेल में डेंटल केयर सेंटर बनाया और यहां प्रतिदिन अपने खर्च पर बंदियों का उपचार करते थे। दोनों खाली समय में अंग्रेजी के नॉवल पढ़ते थे।
कनाडा जाने से कर दिया था मना
वर्ष 2013 में जेल में रहते हुए नूपुर की कनाडा में रहने वाली एक बहन उनसे मिलने आई थीं। उन्होंने राजेश व नूपुर के सामने प्रस्ताव रखा था कि जेल से छूटने के बाद वह कनाडा उनके पास शिफ्ट हो जाएं।
इस पर राजेश ने कहा था कि जब तक वह देश की सबसे बड़ी कोर्ट से बरी नहीं हो जाते और जब तक यह केस चलता रहेगा, वह तब तक भारत से बाहर नहीं जाएंगे। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
आरुषि या केस की बात पर साध लेते थे चुप्पी
डॉ. वीरेश ने बताया कि जेल में रहते हुए वह आरुषि व उससे संबंधित केस के बारे में बातचीत करने से बचते थे। जेल में कोई भी जब आरुषि व हत्या से संबंधित केस के बारे में बात करता था तो वह चुप्पी साध लेते थे या वहां से उठकर चलते जाते थे।
जेल जाने के बाद अध्यात्म में रम गए थे दोनों
जेल जाने के बाद तलवार दंपती ने अध्यात्म में तल्लीन हो गए थे। पूजा-पाठ से लेकर योग व ध्यान उनकी दैनिक दिनचर्या बन गई थी। वह अक्सर जेल में किताब पढ़ते नजर आते थे।
News Source: jagran.com