दिल्ली सरकार व राजनिवास के बीच टकराव तय, एसेंबली ने नकारा LG का संदेश

नई दिल्ली । दिल्ली सरकार और राजनिवास के बीच रार और बढ़ने के आसार हैं। उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा विधानसभा की कमेटियों को ठीक से काम करने के संबंध में भेजे गए संदेश को विधानसभा ने नकार दिया है।

विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि कमेटियां पूर्व की तरह काम करती रहेंगी। उन्होंने उपराज्यपाल के संदेश के कानूनी पहलुओं की जांच के लिए नौ सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। कमेटी अगले विधानसभा सत्र के पहले अपनी रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट के आधार पर वह कार्रवाई करेंगे।

दिल्ली सरकार के अधिकारियों को विभिन्न मुद्दों पर बुला रहीं विधानसभा की कमेटियों को लेकर उपराज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को 13 सितंबर को लिखित संदेश भेजा था।

इसमें उन्होंने साफ किया था कि विधानसभा की कमेटियां लोकसभा की कमेटियों से भी ऊपर जाकर काम कर रही हैं, जो गलत है। विधानसभा सत्र के अंतिम दिन विधानसभा अध्यक्ष ने उपराज्यपाल द्वारा भेजे गए पत्र और जवाब में लिखे गए पत्र को सदस्यों को उपलब्ध कराया।

इसके बाद चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल सरकार के कार्य को प्रभावित कर रहे हैं। विधानसभा ने कमेटियों के माध्यम से काम न करने वाले व भ्रष्ट अधिकारियों की जवाबदेही तय की थी, लेकिन उपराज्यपाल ऐसे अधिकारियों को बचा रहे हैं।

वह अपनी अलग सरकार चला रहे हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अरुणाचल प्रदेश के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उपराज्यपाल को विधानसभा को इस प्रकार सीधे तौर पर संदेश भेजने का अधिकार नहीं है।

उनके पास कोई अधिकार नहीं है कि वह बगैर सरकार की कैबिनेट या मुख्यमंत्री से सलाह लिए विधानसभा को कोई संदेश भेज सकें, इसलिए उपराज्यपाल का यह संदेश वैध नहीं है।

वहीं, विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली विधानसभा द्वारा कमेटियों का गठन देश की संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है।

इन कमेटियों का गठन लोकसभा के नियमों का भी उल्लंघन है। विधानसभा ने इन्हें असंवैधानिक शक्तियां प्रदान की हैं।

उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने उपराज्यपाल के संदेश को सदन में प्रस्तुत किए बिना उपराज्यपाल से पत्रचार कर नियमों का उल्लंघन किया है।

बुधवार को विधानसभा सत्र के अंतिम दिन उपराज्यपाल के संदेश पर बहस के दौरान गुप्ता ने कहा कि उपराज्यपाल ने नियम के अनुसार संदेश भेजा है। उन्हें संदेश भेजने का अधिकार है।

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम, 1991 की धारा 18(3) के तहत प्रावधान है कि विधानसभा तथा लोकसभा के सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां समान होती हैं।

अधिनियम की धारा 9(2) के तहत उपराज्यपाल के संदेश को सीधे सदन में प्रस्तुत करना चाहिए था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने ऐसा नहीं किया।

उन्होंने विधानसभा को विश्वास में लेने से पूर्व ही उपराज्यपाल से इस विषय पर पत्रचार किया। उन्होंने विधानसभा के नियमों का उल्लंघन किया है।

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि विभागीय मामलों से संबंधित समितियां विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों में नए नियम जोड़कर गठित की गई हैं। इन समितियों को लोकसभा की समितियों से भी अधिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जिनका कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है।

विधानसभा द्वारा गठित विभाग संबंधी समिति को नियम 244बी(ई) के अंतर्गत विभाग के संबंध में गहन जांच करने, पूछताछ करने और अन्वेषण के अधिकार दिए गए हैं, लेकिन लोकसभा के नियमों के तहत ऐसा प्रावधान नहीं है।

लोकसभा के नियम 331ई (2) के अंतर्गत कमेटियों को मंत्रलयों व विभागों के रोजमर्रा के प्रशासन से संबंधित विषयों पर जांच करने के अधिकार नहीं दिए गए हैं। विधानसभा की समितियों को लोकसभा की समितियों से ज्यादा अधिकार दिए गए हैं।

गौरतलब है कि विधानसभा ने सात कमेटियां गठित की हैं, जो विभिन्न मामलों में दिल्ली सरकार के अधिकारियों को बुलाकर उनसे जवाब तलब कर रही हैं।

विधानसभा अध्यक्ष ने दी एलजी के प्रधान सचिव को चेतावनी

उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा भेजे गए संदेश के लीक होने पर विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल भड़क गए। उन्होंने कहा कि उनके पास इस बात के प्रमाण हैं कि उपराज्यपाल के प्रधान सचिव विजय कुमार ने इस संदेश को मीडिया में लीक कराया।

उन्होंने कुमार सहित सभी अधिकारियों को चेतावनी दी कि विधानसभा से संबंधित मामलों में सावधानी बरतें। उन्होंने उपराज्यपाल से अनुरोध किया कि वह ऐसे अधिकारियों को चेतावनी दें। गौरतलब है कि एलजी द्वारा विधानसभा को भेजा गया संदेश मीडिया में लीक हो गया था।

News Source: jagran.com

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