मेडिकल में चमत्कारः बच्चे को गर्भ से आधा निकाल कर डाली ऑक्सीजन नली

नई दिल्ली ।  डॉक्टर भगवान की तरह होते हैं, इस कहावत को बीएलके अस्पताल ने साकार कर दिखाया है। एक गर्भस्थ शिशु के गले के ट्यूमर का अनोखा इलाज कर डॉक्टरों ने चिकित्सा को एक नया आयाम दिया है। मामला बेहद जटिल था, लेकिन चिकित्सक दल का जज्बा और एक नवजात को हंसी दे पाने की चाहत ने इसे आसान बना दिया।

गर्भस्थ शिशु के गले मे ट्यूमर उसके लिए जानलेवा साबित हो रहा था। ऑपरेशन करने के लिए डॉक्टरो ने शिशु को गर्भ से आधा ही बाहर निकालकर पहले ऑक्सीजन ट्यूब डाली और फिर सफल इलाज किया।

10 गुणे 9 इंच का था ट्यूमर

यह अनोखा मामला बिहार निवासी दंपती के साथ घटित हुआ है। गर्भ काल के दौरान जब महिला का अल्ट्रासाउंड किया गया था तो पता चला कि गर्भस्थ शिशु के गले मे ट्यूमर है। इसके बाद पीडि़त परिजन इलाज के लिए दिल्ली पहुंचे थे। यहां सितंबर मे करोल बाग के बीएल कपूर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल मे बच्चे का इलाज किया गया।

ट्यूमर से दब गई थी सांस नली

गर्भस्थ शिशु की सांस नली ट्यूमर के आकार व बोझ से दब गई थी। सामान्यत: ऐसी स्थिति मे बच्चे के जन्म के बाद महज 20-25 सेकेड मे ही ऑक्सीजन नली डालनी होती है, जो बिल्कुल भी संभव नही है। ऐसे मे बच्चे को बचा पाना मुश्किल था।

इसके बाद डॉक्टरों ने कठिन निर्णय लिया। गर्भावस्था के 36वें सप्ताह मे गर्भ से बच्चे का आधा शरीर बाहर निकाला गया। इसका लाभ हुआ कि गर्भनाल के माध्यम से उसके शरीर मे ऑक्सीजन की आपूर्ति बनी होती रही।

इस दौरान डॉक्टरों ने कृत्रिम ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए बच्चे मे ट्यूब डाल दी जिसमे महज 1:30 मिनट लगे। इसके बाद बच्चे को गर्भनाल से अलग कर दिया गया। वेटीलेटर सपोर्ट देने के बाद ट्यूमर का ऑपरेशन करना आसान हो गया।

एग्जिट प्रोसीजर कहलाती है प्रक्रिया

अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेट डॉ. प्रशांत जैन ने बताया कि यह प्रक्रिया चिकित्सा विज्ञान की भाषा मे एग्जिट प्रोसीजर कहलाती है। अस्पताल का दावा है कि पहली बार सफलता पूर्वक यह प्रक्रिया की जा सकी है। इसके पहले एम्स मे भी ऐसा ही मामला हुआ था जिसमे बच्चे को बचाया नहीं जा सका था। इस मामला मे मां और नवजात दोनों ही अब स्वस्थ हैं।

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