मौसम विभाग की चेतावनी सात जिलों में अलर्ट जारी

देहरादून । दून समेत प्रदेश के सात जिलों में शनिवार से भारी बारिश परीक्षा लेगी। दून में पिछले 24 घंटे से रुक-रुककर हो रही मूसलाधार बारिश और तेज हो सकती है। मौसम विभाग की चेतावनी को देखते हुए प्रदेशभर में अलर्ट जारी कर दिया गया है। विशेषकर देहरादून, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंह नगर में सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। वहीं, पिछले 24 घंटे में देहरादून एवं आसपास के क्षेत्रों में 52.3 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है। हरिद्वार में नदी में डूबने से एक महिला की मौत हो गई। मौसम का यह बदला मिजाज तीन सितंबर तक बना रहेगा। शासन ने समस्त जिलाधिकारियों को सजग रहने के निर्देश दिए हैं। एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन से जुड़े महकमों को भी अलर्ट पर रखा गया है। हालात के मद्देनजर प्रशासन ने देहरादून, पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग और हरिद्वार में कक्षा एक से 12 तक के स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है। देहरादून में गुरुवार शाम से शुरू हुआ बारिश का दौर शुक्रवार सुबह तक जारी रहा। इस दौरान रुक-रुक कर बौछारें पड़ती रहीं। पहाड़ों में बारिश के दौरान भूस्खलन से सड़कों की स्थिति बदतर बनी हुई है। नदियां उफान पर हैं।
हरिद्वार में गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ है। पिथौरागढ़ जिले की तहसीलों में बारिश का कहर थम नहीं रहा है। जिले में थल- मुनस्यारी मोटर मार्ग पर आठवें दिन भी वाहनों का संचालन ठप रहा। शुक्रवार सुबह तेज बौछारों के कारण अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री नीचे 29.4 और न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक 23.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक आने वाले 24 घंटे में दून एवं आसपास के क्षेत्रों में तेज बारिश के कुछ दौर हो सकते हैं। इस बीच अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: 29 और 23 डिग्री सेल्सियस रहने के आसार हैं।
लालढांग में रवासन नदी में फिर एक महिला की डूबने से मौत हो गई। मंगोलपुरा निवासी महिला घरेलू सामान के लिए लालढांग जा रही थी। तभी अचानक नदी में पानी बढ़ गया। अभी महिला की शिनाख्त नहीं हो पाई है। 15 दिन में नदी में बहने से दूसरी महिला की मौत हुई है।
राज्य में बारिश और भूस्खलन से 187 सड़कें आवाजाही के लिए बंद पड़ी है। इसमें सबसे ज्यादा ग्रामीण मार्ग शामिल हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में कई गांव सड़क मार्ग से अलग-थलग पड़े हैं। भारी बारिश का कहर पर्वतीय क्षेत्रों की सड़कों पर भारी पड़ रहा है। गुरुवार तक प्रदेश में 222 सड़कें बंद थी। रात को हुई बारिश से 55 और सड़कें बंद हो गई। लोनिवि ने जेसीबी आदि मशीनें लगाकर करीब 90 सड़क शुक्रवार शाम तक आवाजाही के लिए खोल दी। मगर, 187 सड़कों पर अभी भी आवाजाही ठप पड़ी है। इनमें चार राज्य, जिला, लिंक और ग्रामीण मार्ग शामिल हैं। बंद सड़कों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की 79 सड़कें भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा सड़कें भूस्खलन, कटाव और बोल्डर आने से बंद हुई है। कई सड़कों पर लगातार भूस्खलन जारी रहने से भी खतरा बना हुआ है। प्रमुख अभियंता लोनिवि आरसी पुरोहित का कहना है कि सड़कों को खोलने के लिए सभी जिलों के अधिकारियों को युद्धस्तर पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए पर्याप्त मशीनें भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के आस-पास तैनात की गई हैं। बारिश तो कभी धूप। फुहारों के बीच ठंडी हवा तो कभी बदरी में बढ़ी उमस। मौसम का मिजाज लोगों का हाल बेहाल कर रहा है।
तापमान में बदलाव के चलते लोग वायरल और सर्दी-खांसी की चपेट में आ रहे हैं। पारे में उतार चढ़ाव की वजह से वायुमंडल में आद्र्रता का प्रतिशत भी तेजी से ऊपर नीचे हो रहा है। जिसकी वजह से बैक्टीरिया तेजी से पनप रहे हैं। बैक्टीरिया की अधिकता के चलते डायरिया, गैस्ट्रोइंटेरायटिस, खांसी-जुकाम, बुखार जैसी बीमारियां तेजी से पनप रही हैं। स्थिति यह कि न केवल सरकारी बल्कि निजी अस्पतालों में भी मरीजों की भीड़ लगी है। वातावरण में नमी के कारण मांसपेशियों और शरीर दर्द की शिकायतें भी तेजी से बढ़ी हैं। डॉक्टर बताते हैं कि वातावरण में आद्र्रता अधिक होने से शरीर में नमक की मात्रा कम हो जाती है। जिससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलित हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में मांसपेशियों में खिंचाव होता है और दर्द शुरू हो जाता है। मेडिकल साइंस में इसे ह्यूमिड क्रैंप भी कहते हैं। इसके अलावा जो लोग पहले ही गठिया, स्पॉडिलाइटिस या कमर दर्द की परेशानी से जूझ रहे हैं, उनकी मुसीबतें और बढ़ गई हैं। डॉ. प्रवीण पंवार (वरिष्ठ फिजीशियन) ने बताया कि बरसात के मौसम में वातावरण में नमी होती है। जिसके कारण प्यास कम लगती है। फिर भी पानी भरपूर पीएं। बरसात के मौसम में खान-पान को लेकर विशेष ध्यान रखने की जरुरत होती है। क्योंकि संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए खास ख्याल रखने की जरूरत है।

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