अतिथि शिक्षकों को नियमित किए जाने पर उठे सवाल, एलजी ने केजरीवाल को लिखा पत्र

नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले बिल पर बवाल शुरू हो गया है। एलजी ने दिल्ली सरकार के उस बिल को असंवैधानिक बताया है जिसके तहत अतिथि शिक्षकों को नियमित किए जाने की तैयारी है। दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में यह पहली घटना है कि सत्ता पक्ष के बिल को लाए जाने से पहले एलजी ने उसे असंवैधानिक करार दिया है।

एलजी बैजल ने सीएम केजरीवाल को पत्र में कहा है कि ‘सर्व शिक्षा अभियान 2017’ के तहत अतिथि शिक्षकों और शिक्षकों की सेवाओं को नियमित करने से संबंधित बिल को लागू करने से पहले सरकार फिर से विचार करे। उन्होंने बिल पेश करने के तरीके पर भी सवाल उठाया है।

सदन में बिल पेश किया जाएगा

दिल्ली सरकार बुधवार को अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के लिए बिल लाने जा रही है। एलजी के उठाए गए सवालों को दरकिनार कर ऐसा किया जाएगा। इस पर विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि सत्र बुलाने का निर्णय पहले लिया गया था। पूर्व में लिए गए फैसले के अनुसार सदन में बिल पेश किया जाएगा। हमेशा की तरह यह बिल भी उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर एलजी को कोई आपत्ति है तो जो हश्र अन्य बिलों का उन्होने किया है वैसा फैसला लेने के लिए वह स्वतंत्र हैं।

सर्विसेज से जुड़ा है मुद्दा, इसलिए दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर: बैजल

उपराज्यपाल के मुताबिक यह मुद्दा सर्विसेज से जुड़ा है जो दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। बिल पेश करना और उस पर विचार करना दिल्ली सरकार की संवैधानिक योजना के अनुसार नहीं है। सीएम को लिखे पत्र में बैजल ने साफ कहा है कि गत 27 सितंबर की कैबिनेट बैठक में सरकार ने बिल पर फैसला लिया है और उसके बाद कैबिनेट का आदेश (संख्या 2512) उपराज्यपाल सचिवालय में प्राप्त हुआ। उन्होंने लिखा है कि दिल्ली सरकार के ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993 के अंतर्गत प्रस्तावित उपायों द्वारा बिलों को पारित करने के लिए विधानमंडल की क्षमता के बारे में कानून विभाग से परामर्श लेना भी अनिवार्य है, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया है।

बता दें कि पिछले सप्ताह ही दिल्ली सरकार ने 17 हजार में से 15 हजार अतिथि शिक्षकों को पक्की नौकरी देने का ऐलान किया था। इस संबंध में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि कैबिनेट में लिए गए फैसले को विधानसभा के विशेष सत्र में बिल लाया जाएगा। जिसके बाद उपराज्यपाल ने स्कूलों में शिक्षकों की कमी के मुद्दे पर सरकार को डीएसएसएसबी द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरु करने का आदेश दिया था।

पुनर्विचार करें मुख्यमंत्री

बैजल ने पत्र में यह भी कहा कि गृह मत्रालय द्वारा जारी 21 मई 2015 की अधिसूचना व गत वर्ष चार अगस्त को उच्च न्यायालय के फैसले में सेवा संबंधी मामलों में उपराज्यपाल के अधिकार को सर्वोच्च बताया गया है। इस मामले में कोई दो राय नहीं है कि दिल्ली सरकार सर्विसेज मामलों में कोई दावा नहीं कर सकती। इस पर उपराज्यपाल अपने विवेक के आधार पर निर्णय ले सकते हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि विधेयक पेश करने से पूर्व मंत्रिमडल के फैसले पर उन्हें पुनर्विचार करना चाहिए।

News Source: jagran.com

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