काठगोदाम डिपो को सात दिन में हजारों की चपत
देहरादून/हल्द्वानी, । उत्तराखंड परिवहन निगम की वित्तीय हालत किसी से छिपी नहीं है। इसमें सुधार के बजाय रोडवेज प्रबंधन की कारगुजारी से नुकसान उठाना पड़ रहा है। काठगोदाम डिपो को हजारों का चूना लग रहा है। वहीं देहरादून मुख्यालय में बैठे अफसरों को इसका पता चल चुका है। अब इस मामले में गाज गिरना तय माना जा रहा है।ताजा मामला टोल टैक्स से जुड़ा है। दिल्ली में प्रवेश करने पर दिल्ली गाजीपुर टोल टैक्स ने सभी गाडियों में टैग को अनिवार्य कर दिया है। अब जो वाहन टैग से पेमेंट नहीं करेंगे उसको दोगुना रुपया भरना पड़ेगा, अभी तक दिल्ली में प्रवेश शुल्क 200 रुपये जाने में लगते थे और दिल्ली तक 200 सौ रुपये टोल टैक्स होता था। दिल्ली से बाहर जाने वाली गाड़ी का 400 रुपये वाहन टोल टैक्स लगता था लेकिन टोल प्रबंधन की बार-बार की हिदायत से काठगोदाम डिपो के अधिकारियों ने अनसुना कर दिया। इसके बाद टोल कर्मियों ने 400 रुपये वाहन की दर से टोल वसूलना आरंभ कर दिया। टोल प्रबंधन की हिदायत का हल्द्वानी डिपो सहित कुछ अन्य डिपो ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अपने एक वरिष्ठ स्टेशन प्रभारी को भेज कर दिल्ली चलने वाली सभी गाडियों में टैग लगवा दिया लेकिन काठगोदाम डिपो के अफसर देर से जागे और कार्रवाई की। विभागीय आंकड़ों के अनुसार दिल्ली रोड में काठगोदाम डिपो की 25 से ज्यादा गाडियां चलती हैं जिससे काठगोदाम डिपो को सप्ताह भर में करीब 40 हजार से अधिक का ही चूना लगा। इधर गुरुवार सुबह तक टैग लगाये गये। इस मामले में रोडवेज चालक-परिचालकों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि एक-दो हजार की भरपाई के लिए रोडवेज प्रबंधन कर्मियों से वसूली कर लेता है लेकिन यह तो बड़ा मामला है। इस मामले में अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।