हाईकोर्ट के फैसले से मायूस चेहरों पर रंगत

हल्द्वानी, । त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चों वालों को चुनाव लडने के मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि दो से अधिक बच्चे वाले चुनाव लड़ सकेंगे और यह फैसला 25 जुलाई 2019 से लागू होगा। इस तारीख के बाद दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी पंचायत चुनाव लडने के अयोग्य माने जाएंगे। जबकि 25 जुलाई 2019 से पहले जिसके तीन बच्चे हैं, वह चुनाव लड़ सकते हैं। इधर कोर्ट के फैसले के बाद नये नियमों के चलते मायूस लोगों के चेहरों की रंगत फिर से निखर आयी है। वहीं दावेदारी करे रहे नये चेहरों में मायूसी छाने लगी है। कुछ ने तो दावेदारी छोडने का मन बना लिया है। कुछ ने अपने ही परिवार के दूसरों लोगों को चुनाव मैदान उतारने की तैयारी शुरू कर दी है।बहरहाल इस कसमकश में पंचायत चुनाव में फिर से जोरआजमाइश को लेकर पुराने खिलाड़ी कमर कसने लगे हैं। हाईकोर्ट ने निर्णय सुना दिया है कि उत्तराखंड में तीन बच्चे वाले भी पंचायत चुनाव लड़ सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 22 अगस्त को सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। सरकार के दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों को चुनाव में प्रतिबंधित करने के पंचायत एक्ट के प्रावधान को कोटाबाग के मनोहर लाल, पूर्व ब्लॉक प्रमुख जोत सिंह बिष्टड्ढ समेत अन्य ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी। उनका कहना था सरकार इस संशोधन को बैकडेट से लागू कर रही है, जबकि प्रावधान लागू करने के लिए तीन सौ दिन का ग्रेस पीरियड दिया जाता है, जो नहीं दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने पंचायत प्रतिनिधियों के पद के लिए हाईस्कूल पास होने की शैक्षिक योग्यता को भी चुनौती दी है। इसके अलावा कहा है कि को-ऑपरेटिव सोसाइटी सदस्य दो से अधिक बच्चे होने की वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, मगर गांव में हर व्यक्ति किसी न किसी काऑपरेटिव सोसाइटी का सदस्य है। अब इस फैसले के बाद अचानक ही पंचायत चुनाव की राजनीति बदल गयी है। इससे पहले दो बच्चों की बाध्यता के चलते पंचायत के लिए अयोग्य हो गये दावेदार अपने उन सगे संबंधियों को चुनाव लड़वा रहे थे जिन पर सरकार के दो बच्चों की बाध्यता वाला निर्णय लागू नहीं होता था। जिस तरह से महिला आरक्षित सीट के कारण पुरुष दावेदार अपनी पत्नी को खड़ा कर देते थे। इसी तरह सरकार के फैसले के बाद अयोग्य हुये दावेदारों ने अपने सगे संबंधियों को चुनाव मैदान में उतारा था। अब इस निर्णय के बाद वह स्वयं मैदान में उतर सकेंगे। हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद पंचायत चुनाव की राजनीति की तस्वीर बदल गयी है।

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