पीएम मोदी ने सेवक बनकर बदल दी शासन की परिभाषा: कप्तान सिंह

इंदौर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पहली बार संसद पहुंचे तो उन्होंने जूते उतार कर संसद को सिर झुकाकर प्रणाम किया। उन्होंने संसद को मंदिर का नाम दिया और खुद को देश का प्रधान सेवक। वह शासक बनने के बजाय देश के सेवक बने। उन्होंने शासन की परिभाषा ही बदलकर रख दी। भारतीयता के बिना भारत का कोई अर्थ नहीं है। भारत ने विश्व को जो दिशा दी है उससे अब भारत की भारतीयता के बजाय इसकी अंतरराष्ट्रीयता की बात होनी चाहिए।

यह बात हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने शुक्रवार को प्रेस क्लब में कही। वह कार्यक्रम में अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह मानवता के बिना मानव होने का अर्थ नहीं, उसी तरह भारतीयता के बिना भारत का कोई अर्थ नहीं है। इसलिए हममें भारतीयता का भाव सदैव जिंदा रहना चाहिए।

राज्यपाल ने प्रदेश के ख्यात पत्रकार स्व. माणिकचंद वाजपेयी मामाजी के जीवन से जुड़े कई प्रेरक किस्से भी सुनाए। उन्होंने कहा कि स्व. वाजपेयी और पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी दोनों उत्तर प्रदेश के बटेश्वर के थे। दोनों ने वहां से निकलकर कहां-कहां अपनी छाप छोड़ी, यह हम सब जानते हैं।

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