क्या यह दूरी नीतीश के लिए जरूरी

नई दिल्ली। गिरिराज सिंह के बयान के बाद बिहार में सियासी उबाल मचा हुआ है। मोदी मंत्रिमंडल में जदयू के शामिल नहीं होने के बाद से ही NDA में कड़वाहट देखी जा रही थी और गिरिराज के बयान आग में घी डालने का काम किया। इस बयान से गिरिराज ने अपनी फजीहत करवा ली। सहयोगी को तो छोड़िए उन्हें अपनों से भी फटकार मिलने लगी। गिरिराज हमेशा नीतीश पर हमलावर रहते हैं पर यह पहली बार हुआ कि उन्हें शांत रहने की हिदायत दे दी गई। इसे भाजपा के लिए मजबूरी और गठबंधन धर्म के लिए जरूरी के रूप में भी देखा जा सकता है। मोदी सरकार के गठन के बाद से नीतीश की चुप्पी ने भाजपा के लिए असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। आधुनिक भारतीय राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह और उनकी पार्टी ने शायद ‘wait and watch’ की नीति अपना रखी है। कहने के लिए तो बड़े नेता लगातार यह कह भी रहे हैं कि NDA में सबकुछ ठीक है पर दिखता ठीक इसके उल्टा है। पिछले साल जदयू और भाजपा नेता एक दूसरे के इफ्तार पार्टी में जमकर शरीक हुए थे। इस बार दोनों दलों की इफ्तार पार्टी तो हुआ लोकिन नेताओं ने एक दूसरे की पार्टी से दूरी बना ली। ना भाजपा नेता जदयू की इफ्तार पार्टी में गए ना जदयू वाले भाजपा में आए। दोनों दलों के नेता एक साथ जरूर दिखे और वह भी अपने तीसरे सहयोगी रामविलास पासवान की इफ्तार पार्टी में। नीतीश ने जिसे विश्वासघाती बताया था उस जीतन राम मांझी के इफ्तार पार्टी में चले गए पर भाजपा वालों से दूरी बना ली। क्या यह दूरी नीतीश के लिए जरूरी है?

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