आईआईटी रुड़की ने ‘द फ्यूचर ऑफ़ केमिकल इंजीनियरिंग टीचिंग’ विषय पर किया प्रो. जेबी लाल मेमोरियल लेक्चर के चौथे संस्करण का आयोजन

रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ने प्रो. जेबी लाल मेमोरियल लेक्चर के चौथे संस्करण का आयोजन किया। ‘द फ्यूचर ऑफ़ केमिकल इंजीनियरिंग टीचिंग’ विषय पर आयोजित इस ऑनलाइन लेक्चर का उद्देश्य केमिकल इंजीनियरिंग के शिक्षण की पूर्व पद्धति की समीक्षा करना और भविष्य के लिए आवश्यक परिवर्तनों का पता लगाना था।समारोह में बतौर मुख्य अतिथि, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा (यूएसए) के केमिकल इंजीनियरिंग एंड मटेरियल साइंस के एमेरिटस प्रोफेसर और अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियर्स (एआईसीएचई) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एडवर्ड एल. कुसलर जूनियर की गरिमामयी उपस्थिती रही। उन्होंने ‘द फ्यूचर ऑफ़ केमिकल इंजीनियरिंग टीचिंग’ विषय पर व्याख्यान दिया। इस मौके पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी, आईआईटी रुड़की के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. वीसी श्रीवास्तव, प्रो. शिशिर सिन्हा, प्रो. दीपक कुमार ओझा, प्रो. आशीष यादव, प्रो. एचपी वेलुस्वामी और प्रो. सुशील कुमार भी मौजूद रहे।प्रो. एडवर्ड एल. कुसलर जूनियर ने अपने व्याख्यान में केमिकल इंजीनियरिंग के लिए आवश्यक रीइग्ज़ैमनैशन को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। उनका व्याख्यान तीन बिन्दुओं पर केंद्रित था- सिखाया जाने वाला मेटेरियल, इसे कैसे पढ़ाया जाना चाहिए, और कोंटेंट में कैसे बदलाव आएगा।अपने व्याख्यान में प्रो. एडवर्ड एल. कुसलर जूनियर ने कहा, “आने वाली पीढ़ियों के लिए केमिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में गुणवत्ता शिक्षण के महत्व और मार्गदर्शन को समझने की आवश्यकता है। अधिकांश छात्र स्नातक की डिग्री के साथ अपनी शिक्षा रोक देंगे; इसलिए हमारे शिक्षण में उन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जो ये छात्र अपने चालीस साल के करियर में उपयोग करेंगे। हमें भविष्य के लिए आवश्यक परिवर्तनों की खोज करने के लिए अतीत में रहे केमिकल इंजीनियरिंग की शिक्षण पद्धति की समीक्षा करनी चाहिए।“

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षण को उन विषयों पर केंद्रित किया जाना चाहिए, जिनका उपयोग छात्रों द्वारा अपने करियर के दौरान किए जाने की संभावना है। इस तरह के दायरे को “कविता” और “व्याकरण” के रूप में संक्षेपित किया जा सकता है, अर्थात हम जो सिखाते हैं उसके पीछे महत्वपूर्ण विचारों पर और इन विचारों को कैसे संरचित किया जाता है।

व्याख्यान में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि हमें कैसे पढ़ाना चाहिए, उदाहरण के लिए दो आंकड़े हैं। पहला, एक प्रोटेस्टेंट धर्मशास्त्री जॉन कैल्विन का मानना था कि वो जब पढ़ाते हैं तो वह परम सत्य यानि ईश्वर के शब्दों की तरह होता है। हमें इस अहंकार से बचना चाहिए। दूसरा, दार्शनिक सुकरात से जुड़ा है। उनके अनुसार,एक शिक्षक को अब तक क्या माना गया है और भविष्य के विचार को कहां जाना चाहिए, इसकी समीक्षा करने में छात्रों का मार्गदर्शन करना चाहिए।  केमिकल इंजीनियरिंग के लिए सुकरात का दृष्टिकोण अधिक उपयुक्त है। व्याख्यान में जोर दिया गया कि भविष्य में शिक्षण को कैसे बदलना चाहिए, इसकी शुरुआत इससे की जा सकती है कि हमारा पेशा जीवाश्म ईंधन, विशेष रूप से पेट्रोलियम पर केंद्रित है। भविष्य में, हमें सौर और पवन ऊर्जा जैसे ऊर्जा संसाधनों, फूड एंड क्लोथिंग में रुचि और स्वास्थ्य के नए मार्गों को शामिल करना चाहिए।आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, ‘प्रो. जेबी लाल मेमोरियल लेक्चर के चौथे संस्करण के वक्ता के रूप में प्रो. एडवर्ड एल. कुसलर जूनियर की उपस्थिती से हम सभी सम्मानित महसूस कर रहे हैं। वह केमिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सभी के लिए एक प्रेरणा हैं। प्रो. कुसलर ने केमिकल इंजीनियरिंग के शिक्षण और भविष्य के लिए आवश्यक परिवर्तनों पर एक उल्लेखनीय व्याख्यान दिया।“प्रो. एडवर्ड एल. कुसलर जूनियर ने अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियर्स (एआईसीएचई) के निदेशक, उपाध्यक्ष और अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। वह वर्तमान में प्रतिष्ठित संस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा (यूएसए) के एमेरिटस प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने येल यूनिवर्सिटी से वर्ष 1961 में अपना बीई और विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में वर्ष 1963 में एमएस और वर्ष 1965 में पीएचडी किया है। ईएन लाइटफुट के साथ काम करते हुए प्रो. कुसलर ने अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियर्स (एआईसीएचई) से कॉलबर्न एंड लुईस अवार्ड्स और इंस्टीट्यूट लेक्चरशिप प्राप्त किया है। कार्नेगी-मेलन यूनिवर्सिटी में तेरह वर्षों के अध्यापन के बाद, कुसलर वर्ष 1980 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा से जुड़े। उन्होंने 250 से अधिक आर्टिकल और पांच पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें डिफ्यूजन, बायोसेपरेशन और हाल ही में केमिकल प्रोडक्ट डिज़ाइन शामिल हैं। उन्होंने अमेरिकन केमिकल सोसाइटी से सेपरेशन साइंस अवार्ड, अमेरिकन सोसाइटी ऑफ़ इंजीनियरिंग एजुकेशन से मेरीफ़ील्ड डिज़ाइन अवार्ड और लुंड व नैन्सी यूनिवर्सिटी से मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। कुसलर अमेरिकन एसोसिएशन फ़ॉर एडवांसमेंट ऑफ़ साइंस के फेलो और नेशनल एकेडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग के सदस्य हैं।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की का केमिकल इंजीनियरिंग विभाग अपने संस्थापक प्रमुख प्रो. जेबी लाल की स्मृति में प्रत्येक वर्ष प्रो. जेबी लाल मेमोरियल लेक्चर का आयोजन करता है। लेक्चर मुख्य रूप से केमिकल इंजीनियरिंग एजुकेशन में नवीनता और प्रगति पर केंद्रित होता है। प्रो.(डॉ.) जगराज बिहारी लाल आईआईटी रुड़की (पहले रुड़की विश्वविद्यालय) के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के संस्थापक प्रमुख थे और जनवरी 1966 से जुलाई 1969 तक इस विभाग से जुड़े रहे।

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