कैसे जमतें है मायानगरी में पैर खुली के बोली सुष्मिता सेन

नई दिल्ली। मिस यूनिवर्स’ बनने के बाद सुष्मिता सेन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई है। फिल्मी करियर में उन्होंने एक लंबा सफर तय किया है। इंडस्ट्री में एक आउटसाइडर होने के नाते उन्होंने हमेशा खुद को इंडस्ट्री से जुड़ा पाया। कभी ऐसा नहसूस नहीं किया कि वह एक बाहरी व्यक्ति हैं। उन्होंने कभी खुद को बेइज्जत महसूस नहीं कराया। सुष्मिता सेन ने जो कुछ भी किया अपनी इज्जत को बनाए रखते हुए ईमानदारी के साथ किया।एक न्यूज पोर्टल से बातचीत में सुष्मिता सेन ने कहा छोटे शहरों से कई लोग हैं जो मुंबई में अपनी किसमत आजमाने आ रहे हैं। उनके लिए सिनेमा खाना खाने और सांस लेने की तरह है। उनके अंदर जो एक्टिंग को लेकर भूख दिखती है वह काबिले-तारीफ है। लेकिन कई लोग एक्टिंग को लेकर इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि वह उसका फायदा उठाने लगते हैं। इंडस्ट्री में बहुत कॉम्पिटिशन है। कई बार एक एक्टर बनने की उत्तेजना के चलते आप खुद पर एक प्रेशर महसूस करने लगते हैं। सोशल मीडिया पर जब फॉलोअर्स उन्हें जज करते हैं या ट्रोल करते हैं तो ऐसे में एक एक्टर या संघर्ष करने वाला व्यक्ति डिसटर्ब होने लगता है। उदाहरण के तौर पर मैं कहूंगी कि मैं भी इस इंडस्ट्री में एक आउटसाइडर रही। फिल्म मुझे कई बार इसलिए मिली क्योंकि मैं एक ब्यूटी पेजेंट रह चुकी हूं। मैंने हमेशा फिल्मों में अपना 100 प्रतिशत दिया। कई फिल्में ऐसी भी रहीं जो बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल पाईं। लेकिन, मैंने हार्ड वर्क किया और कभी डेस्पिरेट (बेकरार) नहीं हुई।

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