बच्चों की याचिका पर हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती, सरकार को लगाई फटकार

चंडीगढ़। पंजाब  एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्कूली बच्चों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट के जस्टिस आरके जैन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक तरफ तो सरकार घर घर शौचालय की बात करती है, लेकिन बच्चों को स्कूल में पानी व शौचालय की सुविधा क्यों नहीं दे पा रही। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए सरकारी स्कूलों की स्थिति पर चिंता प्रकट की।

कैथल जिले के गांव बालू के स्कूल कक्षा छठी से दसवीं तक के सात छात्रों अमरजीत, अभिषेक, सौरभ, अजय, मंदीप, सावन और विकास ने वकील प्रदीप रापडिया के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर स्कूल की दयनीय स्थिति के बारे में बताया। याचियों के वकील ने कोर्ट को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 21 (ए) के अंतर्गत बच्चों को निशुल्क शिक्षा व अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया है। मगर स्कूल की कंडम इमारत और बिना अध्यापकों के मौलिक अधिकार किसी काम का नहीं है।

याचियों ने हाई कोर्ट को बताया कि कई साल से स्कूल की इमारत कंडम घोषित है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। वहीं आधे से ज्यादा सत्र बीतने के बावजूद स्कूल में विज्ञान व मैथ के अध्यापक उपलब्ध न होने से बच्चों के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। स्कूल के 45 से अधिक बच्चों ने मौलिक शिक्षा निदेशक और जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर बताया था कि छत से सीमेंट के टुकड़े गिरते रहते हैं। साथ ही स्कूल में पीने के पानी और शौचालय की भी समूचित व्यवस्था नहीं है, लेकिन अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की।

बच्चों की याचिका पर कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया कि वो हलफनामा दायर कर यह बताए कि हरियाणा के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के कितने पद खाली हैं और कितने स्कूलों में लड़के व लड़कियों के लिए पीने के पानी व शौचालय की समूचित व्यवस्था है? कोर्ट ने  कैथल के जिला शिक्षा अधिकारी व बालू स्कूल के प्रिंसिपल को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

News Source: jagran.com

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