खाद्य सुरक्षा योजना में गड़बड़ी पर विभाग डाल रहा पर्दा

देहरादून : खाद्य सुरक्षा योजना का सच जानने को लेकर महकमे की नीयत साफ नजर नहीं आ रही है। योजना में गड़बड़ी के जिन बिंदुओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं, अफसर उन पर पर्दा डालने में ज्यादा दिलचस्पी लेते दिख रहे हैं।

करीब दो महीने पहले उत्तराखंड सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता परिषद ने देहरादून के जिला पूर्ति अधिकारी के साथ ही प्रधानमंत्री को पत्र भेजते हुए खाद्य सुरक्षा योजना में गड़बड़ी की शिकायत की थी। उनका कहना था कि योजना के तहत बनाए गए राशन कार्डों में तकरीबन 40 फीसद तक फर्जी हैं। इनके जरिये हर महीने लाखों रुपयों का राशन उठाया जाता है।

इसके मद्देनजर फौरी तौर पर जिला पूर्ति अधिकारी विपिन कुमार ने दो पूर्ति निरीक्षकों की चार टीमें गठित कर उन्हें योजना के तहत बने राशन कार्डों का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश दिए, लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई। सूत्रों के अनुसार विभाग को डर है कि अगर सही तरीके से जांच की गई तो विभाग के कई अफसर भी लपेटे में आ जाएंगे, इसलिए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

ऐसे बनाए गए फर्जी कार्ड 

दरअसल, योजना के लिए 15 हजार मासिक आय वाले परिवारों के राशन कार्ड बनने थे, लेकिन इससे अधिक वालों के बना दिए गए। शिकायत होने पर काफी संख्या में कार्ड निरस्त कर दिए गए। कुछ दिनों बाद महकमे के अधिकारियों ने चहेते डीलरों को इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर खाद्य सुरक्षा योजना के राशन कार्ड जारी कर दिए।

जिला आपूर्ति अधिकारी विपिन कुमार का कहना है कि विभाग पारदर्शिता के साथ काम कर रहा है। विभाग अपने स्तर से शिकायतों की जांच कर रहा है, इसमें यदि लापरवाही सामने आती है तो जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उत्तराखंड सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता परिषद के अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता का कहना है कि उनकी शिकायत पर यदि पारदर्शिता से जांच की जाए तो बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आएंगी।

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