उत्तराखंड में वन रेंजों का होगा पुनर्गठन, सुरक्षा होगी मजबूत

देहरादून : भौगोलिक लिहाज से राज्य के सबसे बड़े वन महकमे में फॉरेस्ट गार्ड से लेकर एसीएफ (सहायक वन संरक्षक) पदों के ढांचे में पुनर्गठन के साथ ही राज्य सरकार ने विभाग में वन रेंजों के पुनर्गठन का भी फैसला लिया है। इस क्रम में सभी वन प्रभागों के साथ ही वन्यजीव परिरक्षण संगठन से प्रस्ताव मांगे गए हैं। प्रस्ताव मिलने के बाद गहनता से परीक्षण कराया जाएगा और फिर नई रेंज अस्तित्व में आएंगी। इस पहल के परवान चढ़ने पर वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा और मजबूत हो सकेगी। वर्तमान में विभाग के अंतर्गत 177 क्षेत्रीय व 117 कार्यकारी (वन्यजीव परिरक्षण) रेंज हैं।

राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 71 फीसद वन भूभाग है, जो वन महकमे के अंतर्गत है। विभागीय ढांचा 13 वृत्त, 44 प्रभाग, 294 रेंज और 1569 बीट में विभक्त है। वन रेंजों की ही बात करें तो इनका आकार भी खासा बड़ा है, जिससे वनकर्मियों को रेंज का एक से दूसरे छोर को नापना खासा मुश्किल होता है। कई रेंज तो 10 से 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पसरी हैं। सूरतेहाल वर्षाकाल के दिनों में इनमें गश्त करने में दिक्कतें और अधिक बढ़ जाती हैं।

वहीं, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ज्यादा परेशानियां सामने आती हैं। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए लंबे समय से वन रेंजों के पुनर्गठन की मांग उठती रही है। अब सरकार ने भी माना है कि बदली परिस्थितियों में सुरक्षा के लिहाज से वन रेंजों का पुनर्गठन कर लिया जाए। वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत की सोमवार को विधानसभा भवन में अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी यह मसला उठा।

वन मंत्री डॉ.रावत के अनुसार प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आरके महाजन को निर्देश दिए गए हैं कि वन रेंजों का भी पुनर्गठन करा लिया जाए। इस क्रम में प्रमुख मुख्य वन संरक्षक की ओर से सभी वन प्रभागों और नेशनल पार्क व सेंचुरी प्रशासन से इस बारे में प्रस्ताव मांगे जाएंगे। प्रस्ताव मिलने के बाद वन रेंजों का पुनर्गठन किया जाएगा। इसमें रेंजों की संख्या बढ़कर 325 तक पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि रेंज छोटी होने से सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी।

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