स्मॉगः दिल्ली सरकार के खिलाफ अवमानना का मुकदमा दायर करेगा ईपीसीए

नई दिल्ली । पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण-संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) दिल्ली सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस दायर करेगा। उसने यह निर्णय वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होने पर भी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के प्रावधानों को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा लगातार लापरवाह रवैया अपनाने की वजह से लिया है।

दरअसल, रविवार रात 11 बजे दिल्ली सरकार ने अपनी मर्जी से ट्रकों के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था। रातोंरात सीमाओं पर फंसे हजारों ट्रक दिल्ली में घुस गए। ईपीसीए ने इस पर सख्त एतराज जताया, तो उपराज्यपाल की फटकार पर सोमवार रात से मंगलवार तक के लिए यह प्रतिबंध दोबारा लगा दिया गया।

ईपीसीए ने इस हरकत को गैर जिम्मेदाराना करार दिया है। पार्किंग के रेट में चार गुना इजाफे को लेकर भी मनमर्जी रवैया देखने को मिल रहा है।

दिल्ली के एक बार फिर गैस चैंबर बन जाने की स्थिति में ईपीसीए ने 8 नवंबर से आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर दिल्ली में सभी ट्रकों के प्रवेश पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी थी, लेकिन सरकार ने रविवार को इस आदेश की अवहेलना की।

सोमवार दोपहर जब इस आशय की सूचना ईपीसीए को मिली, तो चेयरमैन डॉ. भूरेलाल ने एलजी से शिकायत की। इसके बाद यह प्रतिबंध जारी रखने की फाइल दोबारा तैयार कराई गई, लेकिन परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने उस पर संज्ञान नहीं लिया।

शाम को डॉ. भूरेलाल ने फिर से एलजी को फोन लगाया। जब एलजी की फटकार पड़ी, तो देर शाम ट्रकों पर प्रतिबंध मंगलवार तक के लिए बढ़ा दिया गया। अहम सवाल यह है कि जब ट्रकों के प्रवेश पर अगले आदेश तक प्रतिबंध है तो यह रातोंरात कैसे हट गया? दिल्ली सरकार नियंत्रित दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आदेश में भी स्पष्ट लिखा है कि प्रतिबंध अगले आदेश तक जारी रहेगा।

सेहत के लिए हानिकारक

ट्रकों का डीजल स्वास्थ्य के लिए अन्य हानिकारक जहरीली गैसों के साथ-साथ ब्लैक कार्बन भी छोड़ता है। कार्बन डाईऑक्साइड से 10 गुना ज्यादा खतरनाक ब्लैक कार्बन होता है। यह फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, श्वास रोग सहित पाचन से जुड़े रोगों का जनक है।

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