उपचार में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर जोर

मरीजों को सुरक्षा के लिए निर्धारित अंतरराष्ट्रीय मानकों का अस्पतालों में पालन किया जाना जरूरी : रवि कांत

ऋषिकेश । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में अंतिम दिन विशेषज्ञों ने पेसेंट सेफ्टी विषय पर व्याख्यानमाला प्रस्तुत की। जिसमें उन्होंने रोगियों की सुरक्षा के लिए निर्धारित मानकों का पालन करने, उपचार में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया। उन्होंने हेल्थ केयर को लेकर चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ व अस्पताल प्रशासन में बेहतर समन्वय को जरूरी बताया। तीन दिवसीय कार्यशाला में संस्थान के स्नातकोत्तर छात्र छात्राओं,नर्सिंग व मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व पीएचडी स्कालर ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला के तहत मंगलवार को विशेषज्ञों ने हेल्थ केयर व पेसेंट सेफ्टी आदि विषयों पर व्याख्यान दिए। एम्स के मेडिकल एजुकेशन विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला में निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि मरीजों को सुरक्षा के लिए निर्धारित अंतरराष्ट्रीय मानकों का अस्पतालों में पालन किया जाना जरूरी है, उन्होंने कहा कि सेफ्टी मानकों के क्रियान्वयन में अस्पताल प्रशासन, चिकित्सक व सपोर्टिंग स्टाफ के स्तर पर बरती जाने वाली लापरवाही रोगियों में असुरक्षा की भावना को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि एम्स संस्थान में उपचार व प्रशिक्षण के स्तर पर पेसेंट सेफ्टी को लेकर गाइड लाइन का पालन हो रहा है, एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थी देश व दुनिया में कहीं भी सेवा दे वह इस विषय पर बेहतर कार्य करेगा। निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि ऋषिकेश एम्स में रोगियों को दुनिया में उपलब्ध आधुनिकतम स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
कार्यशाला में यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ, इंग्लैंड की प्रोफेसर डा.ट्रिसिया वुडहेड ने पेसेंट सेफ्टी विषय पर व्याख्यान में चिकित्सा प्रणाली में रोगी की सुरक्षा को लेकर होने वाली छोटी छोटी गलतियों पर ध्यान देने व उनसे सीख लेनी चाहिए। यह सुनिश्चित हो कि गलतियों की पुनरावृत्ति नहीं हो। साथ ही उन्होंने हेल्थ केयर में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया। डा. ट्रिसिया ने बताया चिकित्सा क्षेत्र में रोगी के उपचार में की गई छोटी चूक भारी पड़ सकती है। लिहाजा इसके लिए इंटरनेशनल मानक चेक लिस्ट का पालन जरूरी है। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रोफेसर विपिन बत्रा ने रोगियों की सुरक्षा के लिए उच्च स्तरीय प्रदर्शन करने वाली टीम के गठन और रोगी की सुरक्षा को लेकर होने वाली गलतियों को पकड़ने के तौर तरीके बताए। उन्होंने प्रतिभागियों को रोगी के उपचार के दौरान होने वाले बदलावों को रोगी व चिकित्सक के स्तर पर मापने की विधि भी बताई। चेयरमैन इंस्टीट्यूट ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन मेडिऔर हास्पिटल नई दिल्ली डा.तामोरिस कोले ने भारत में रोगी की चिकित्सा में सुरक्षा के लिहाज से सिस्टम की कमियों पर चर्चा की और इसमें रचनात्मक सुधार की जरुरत बताई। कार्यशाला में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ वेल्स, यूके के प्रोफेसर पराग सिंघल व प्रो.मार्टिन स्टीगल ने भी व्याख्यानदिया। मेडिकल एजुकेशन विभागाध्यक्ष डा.शालिनी राव, डीन प्रोफेसर सुरेखा किशोर, प्रोफेसर बीना रवि, नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डा.सुरेश शर्मा, प्रो. सोमप्रकाश बासू, डा.रविकांत,डा.प्रतिमा गुप्ता, डा.तरुण गोयल, डा.राजेश काथरोटिया,डा.सुपर्णा बासू, प्रो.सौरभ वार्ष्णेय, डा.मीनाक्षी धर,डा.वसंता कल्याणी, डा.अनुभा अग्रवाल आदि मौजूद थे।

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