गंगा में राफ्टिंग और बीच कैंपों पर कसेगा शिकंजा

देहरादून : गंगा में राफ्टिंग के दौरान बढ़ते हादसों और बीच कैंपों में सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी की शिकायतों ने राज्य सरकार की पेशानी में बल डाल दिए हैं। इसे देखते हुए अब राफ्टिंग और बीच कैंपिंग पर शिकंजा कसने की तैयारी है। मुख्य सचिव एस.रामास्वामी ने टिहरी, पौड़ी व देहरादून के जिलाधिकारियों से अवैध रूप से चल रहे बीच कैंपों के साथ ही राफ्टिंग परमिट और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर रिपोर्ट तलब की है।

ऋषिकेश क्षेत्र में शिवपुरी से लेकर ऋषिकेश तक टिहरी, पौड़ी और देहरादून जिलों में पडऩे वाले क्षेत्रों में गंगा नदी में राफ्टिंग होती है। वर्तमान में वहां राफ्टिंग के लिए 300 के लगभग लाइसेंस हैं और सीजन में करीब 450 राफ्ट गंगा की लहरों पर दौड़ती हैं। इसके साथ ही गंगा तटों से दो से ढाई सौ मीटर के फासले पर निजी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बीच कैंप भी संचालित हो रहे हैं। राफ्टिंग व बीच कैंपों में सुरक्षा मानकों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। वहां होने वाले हादसों से राज्य सरकार की छवि पर भी असर पड़ रहा है।

इसे देखते हुए सरकार ने अब राफ्टिंग के साथ ही बीच कैंप संचालन को लेकर कड़ा रुख अपनाने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव एस.रामास्वामी ने इस संबंध में तीनों जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है। इसमें राफ्टिंग समेत गंगा में होने वाली समस्त साहसिक क्रीड़ा और बीच कैंपों की समीक्षा करने के साथ ही सुरक्षा इंतजामों का परीक्षण कर तत्काल रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया है। रिपोर्ट में इस बात की भी पड़ताल होनी है कि पर्यटन, वन एवं राजस्व विभाग की ओर से कितने राफ्टिंग लाइसेंस जारी किए गए हैं, सरकारी और निजी भूमि में कितने बीच कैंप चल रहे हैं और इनमें कितने वैध और कितने अवैध हैं।

पौड़ी डीएम करेंगे खास पड़ताल

ऋषिकेश क्षेत्र में गंगा में पौड़ी जिले की सीमा में पडऩे वाले इलाके में चल रहे राफ्टिंग व बीच कैंप वैध हैं अथवा अवैध इसकी विशेष जांच करने के लिए मुख्य सचिव ने पौड़ी के जिलाधिकारी को निर्देशित किया है। कहा गया है कि यदि इस क्षेत्र में बीच कैंप अवैध हैं तो इनके संचालन की इजाजत किसने दी, यह भी पता लगाया जाए।

रेगुलर पुलिस को सौंपे मोहित मामला

गंगा में पौड़ी जिले के गूलरघाटी क्षेत्र में इसी साल 14 मई को दिल्ली निवासी मोहित नामक युवक की जलक्रीड़ा के दौरान मौत हो गई थी। मोहित के परिजनों ने इसके लिए राफ्टिंग-बीच कैंप कंपनी को जिम्मेदार ठहराते हुए इसकी शिकायत शासन से की थी। मुख्य सचिव ने डीएम पौड़ी को निर्देशित किया है कि जरूरत हो तो प्रकरण की जांच राजस्व से रेगुलर पुलिस को हस्तांतरित कर दी जाए।

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