योगी सरकार के इस फैसले से मुश्किल में यूपी के टीचर्स, जानिए क्या है स्थिति
नई दिल्ली: 132 करोड़ वाली जनसंख्या वाले देश में कुल 90 लाख टीचर्स हैं. देखा जाए तो बहुत कम. उसके बाद देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की सरकार ने ऐसा फैसला लिया है जिससे शिक्षकों की संख्या बढ़ेगी नहीं बल्कि कम होने का अनुमान है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय की मानें तो बता दें, भारत में सबसे ज्यादा शिक्षक उत्तर प्रदेश में हैं. जो कि 12 लाख 40 हजार हैं. ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने अहम फैसला लिया. प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक बनने के लिए अब टीईटी के बाद लिखित परीक्षा भी अनिवार्य कर दिया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया कि टीईटी पास अभ्यर्थियों की अब सीधे भर्ती नहीं होगी, बल्कि उन्हें लिखित परीक्षा से भी गुजरना होगा. मेरिट बनाते समय लिखित परीक्षा के अंक भी जोड़े जाएंगे.
एक तरफ जहां शिक्षक बनने से पहले टीईटी करना जरूरी होता है वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार टीईटी करने के बाद अब लिखित परीक्षा भी अनिवार्य कर दिया गया है. एक तरफ जहां देश में शिक्षकों की कमी है वहीं, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में टीचर बनने के लिए अभ्यर्थियों के लिए और कठिन बना दिया है. एक तरफ जहां टीचर्स को निकाला गया वहीं लिखित परीक्षा करने के फैसले से और मुश्किल बढ़ा दी है.
कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मीडिया से कहा कि योगी सरकार प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने के लिए कटिबद्ध है. उन्होंने कहा कि लिखित परीक्षा टीईटी क्वालीफाई करने के बाद देनी होगी. शिक्षक भर्ती की मेरिट में लिखित परीक्षा के भी अंक जोड़े जाएंगे. शर्मा ने कहा कि अब प्रदेश में लिखित परीक्षा के माध्यम से बेसिक शिक्षकों की भर्ती होगी. लिखित के लिए 60 और शैक्षिक योग्यता के आधार पर 40 अंक दिए जाएंगे. लिखित परीक्षा में सिर्फ टीईटी पास अभ्यर्थी ही बैठ सकेंगे. ऐसे में कह सकते हैं कि उत्तर प्रदेश केबिनेट ने लोगों का टीचर बनने का सपना थोड़ा मुश्किल कर दिया है. अब अभ्यर्थियों के टीईटी पास करने के बाद लिखित परीक्षा भी देनी होगी.